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भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय में पीएच.डी. कोर्सवर्क कार्यक्रम का भव्य उद्घाटन, प्रो. कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत ने शोध के महत्व पर डाली गहरी रोशनी

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उदयपुर, 12 नवम्बर, 2024. भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के सभागार में आज पीएच.डी. कोर्सवर्क कार्यक्रम का उद्घाटन बेहद हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ. इस गरिमामय अवसर की शुरुआत अतिथियों ने दीप प्रज्वलन से की, जो इस कार्यक्रम के पवित्र उद्देश्य और शोध की आवश्यकता को प्रतीकात्मक रूप से रेखांकित करता है.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन, प्रो. कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत ने इस अवसर पर शोधार्थियों को संबोधित करते हुए शोध की प्रक्रिया और उसके गहरे महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि, “शोध एक साधारण प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक गंभीर और महत्वूपर्ण यात्रा है. यह समाज के उत्थान और मानवता की बेहतरी के लिए बेहद जरूरी है.” प्रो. सारंगदेवोत ने शोध के प्रति गहरी प्रतिबद्धता की आवश्यकता बताते हुए कहा कि आज के शोध को नैतिकता, मानवता और समाजसेवा की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए.

उन्होंने शोधार्थियों को यह समझाया कि एक सशक्त शोध के लिए मौलिकता और समाजसापेक्षता बेहद जरूरी है. उनके अनुसार, “वास्तव में वही शोध सार्थक है, जो गहराई से समाज को समझे और उसकी समस्याओं का समाधान देने की कोशिश करे. शोध के लिए पैशन और पैशेंस दोनों का होना अत्यंत आवश्यक है.”

तकनीक और मौलिकता के बीच संतुलन की जरूरत

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विद्याप्रचारिणी सभा के मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह राठौड़ ने भी शोधार्थियों को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए वर्तमान तकनीकी युग की ओर ध्यान दिलाया. उन्होंने कहा कि, “आज तकनीकी सुविधाओं ने शोध को आसान तो बना दिया है, लेकिन मौलिकता का संकट उत्पन्न हो गया है. हमें इस दिशा में सोचना होगा कि कैसे हमारे शोध समाज को नई दिशा दे सकते हैं.” उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि केवल डिग्री के लिए शोध न करें, बल्कि समाज और ज्ञान में नया योगदान देने की सोच के साथ काम करें.

उच्च गुणवत्ता वाले शोध का प्रयास करें – डॉ. निरंजन नारायण सिंह राठौड़

विशिष्ट अतिथि और विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. निरंजन नारायण सिंह राठौड़ ने शोधार्थियों को कोर्सवर्क के दौरान विषय विशेषज्ञों के व्याख्यानों से अधिकतम लाभ उठाने की सलाह दी. उन्होंने कहा, “आप सभी को विशेषज्ञों द्वारा दिए गए मार्गदर्शन का पूरा लाभ उठाना चाहिए और अपने शोध में उत्कृष्टता का प्रयास करना चाहिए.”

कार्यक्रम में सौ से अधिक शोधार्थियों ने लिया हिस्सा

स्नातकोत्तर अध्ययन संकाय के अधिष्ठाता डॉ. प्रेम सिंह रावलोत ने स्वागत भाषण में बताया कि इस बार के कोर्सवर्क कार्यक्रम में दो सौ से अधिक शोधार्थी हिस्सा ले रहे हैं, जो शोध के प्रति युवाओं के बढ़ते रुझान को दर्शाता है. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि यह कोर्सवर्क ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों में आयोजित किया जा रहा है और यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के मापदंडों पर आधारित है.

सामाजिक बदलाव के प्रति शोध का योगदान

कार्यक्रम के दौरान डॉ. अभय जारोली ने कोर्सवर्क के उद्देश्यों और उसकी विस्तृत रूपरेखा पर प्रकाश डाला. वहीं सह-अधिष्ठाता डॉ. माधवी राठौड़ ने सभी अतिथियों और उपस्थित प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया.

इस गरिमामय अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित शिक्षक और अन्य शोधार्थी, जैसे डॉ. विमल सारस्वत, डॉ. अजित सिंह सोलंकी, डॉ. परेश द्विवेदी, डॉ. हुसैनी बोहरा, डॉ. डिम्पल राठौड़ भी उपस्थित थे, जिन्होंने शोधार्थियों को अपने उत्साह से प्रेरित किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. शुभी धाकड़ ने कुशलता से किया, जिन्होंने एक सजीवता के साथ पूरे कार्यक्रम को समेटा.

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