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पाकिस्तान में गुरूनानक देव का जन्म स्थान छोड़ना तत्कालीन सरकार की बड़ी गलतीः डॉ. यादव

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– सिख गुरुओं की वाणी और उनका बलिदान अद्भुत और ऐतिहासिक: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

– मुख्यमंत्री निवास में गुरू नानक जी के प्रकाश पर्व पर सजा गुरूग्रंथ साहब का दरबार, सिख महिलाओं ने संभाली अरदास की जिम्मेदारी

भोपाल, 17 नवंबर . मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आजादी के बाद गुरूनानक देव जी के जन्म स्थान को पाकिस्तान में छोड़ना तत्कालीन सरकार की सबसे बड़ी गलती थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरूनानक देव जी के जन्मस्थान पर पहुंचने का रास्ता आसान बनाया. मध्य प्रदेश सरकार सिख समाज को शिक्षा, आश्रम व सेवा प्रकल्पों के लिए मदद करेगी.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव अपने निवास पर गुरू नानक देव जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. दरअसल, मुख्यमंत्री के आग्रह पर गुरू नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में रविवार देर शाम भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास में श्री गुरूग्रंथ साहब जी का भव्य दरबार सजाया गया और लंगर की व्यवस्था की गई. मुख्यमंत्री डॉ. यादव के पगड़ी धारण कर दरबार में प्रवेश करते ही सभी उपस्थित जन ने जो बोले सो निहाल- सत श्री अकाल के घोष के साथ पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया गया. मुख्यमंत्री ने प्रदेश के लगभग सभी जिलों से आए सिख समुदाय के प्रतिनिधियों से सजी संगत के बीच बैठकर गुरूवाणी के वचनों का आनंद लिया और कीर्तन में सहभागिता की.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सिख गुरुओं की वाणी अद्भुत है. उन्होंने संगत और पंगत की बात कही. सिख गुरुओं ने विपरित परिस्थितियों में भी महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया. उन्होंने एक मार्ग तय किया कि परमात्मा के बंदों में हम अंतर नहीं कर सकते. यहां किसी पाखंड की जगह नहीं है. इस देश के लिए सभी समान हैं. यही वेद वाक्य है. चारों वेदों का भी निचोड़ यही है कि हम परमेश्वर की सत्ता पर विश्वास रखें.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मैं 10 सिख गुरुओं को प्रणाम करता हूँ. उन्होंने धर्म और आध्यात्म की परम्परा के माध्यम से सनातन संस्कृति बचाई. सिखों का बलिदान कोई भूल नहीं सकता. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान स्थित गुरू नानक की जन्मस्थली के दर्शन के लिए समाधान निकाला. सिख गुरुओं और चार साहबजादों का त्याग और बलिदान इतिहास का अमिट हिस्सा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा के पाठ्यक्रम में कक्षा 7वीं में इस शहादत का विस्तृत उल्लेख है. इसी तरह उच्च शिक्षा के स्तर पर सिखों की शहादत पर अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आज हमारे इतिहास को शिक्षा से जोड़ने की जरूरत है. प्रदेश सरकार सिख समाज के जरूरतमंद व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करेगी. इसी तरह अरेरा कालोनी भोपाल के गुरूद्वारे से जुड़ी व्यवस्थाओं और अन्य गुरूद्वारों के लिए आवश्यक प्रबंध किए जाएंगे.

सांसद वीडी शर्मा ने कहा कि यह इस तरह के शानदार कार्यक्रम का प्रथम अवसर है. आज यहां गुरूग्रंथ साहब आसीन हुए. सम्पूर्ण सिख समाज हर्षित है. कार्यक्रम में उज्जैन के सुरेंद्र सिंह अरोरा ने कहा कि प्रदेश में कई ऐतिहासिक गुरूद्वारे हैं जो धरोहर हैं. इनके रख-रखाव के लिए आवश्यक पहल की जाना चाहिए. इंदौर के नरेंद्र सिंह सलूजा ने कहा कि मुख्यमंत्री निवास में सिख बहनों ने अरदास का दायित्व निभाया है. यह एक ऐतिहासिक अवसर है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी के हृदय में स्थान बनाया है.

नेहा बग्गा ने कहा कि सिखों की शहादत की जानकारी शिक्षण संस्थाओं में देने की पहल प्रशंसनीय है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव जब उच्च शिक्षा मंत्री थे, तब सिखों की शहादत का विवरण पाठ्यपुस्तकों में जोड़े जाने का कार्य प्रारंभ हुआ. सुरजीत सिंह टुटेजा ने कहा कि आज मुख्यमंत्री निवास में 555वें प्रकाश महोत्सव का अवसर बहुत विशेष है.

मुख्यमंत्री को भेंट की गई कृपाण

मुख्यमंत्री निवास में आयोजित प्रकाश पर्व में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मध्य प्रदेश के सिख समाज की ओर से सम्मान किया गया. मुख्यमंत्री डॉ. यादव को कृपाण भी भेंट की गई. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व पर मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कार्यक्रम में राजधानी सहित प्रदेश के विभिन्न स्थानों से आए सिख समाज के प्रतिनिधियों और धर्म प्रेमियों का स्वागत किया. कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री डॉ. यादव अरदास में भी शामिल हुए. इस अवसर पर सिख समाज की बहनों ने विशेष प्रार्थना (अरदास) की रस्म अदा की. कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री कृष्ण गौर, विधायक रामेश्वर शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, प्रदेश के विभिन्न नगरों से आए जनप्रतिनिधियों में पूर्व मंत्री हरदीप सिंह डंग, हरजीत सिंह बब्बू, जसपाल अरोरा, इंदरजीत सिंह खनूजा, सुमित पचौरी एवं राजधानी के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी, सिख समाज के प्रतिनिधि, गुरूद्वारा प्रबंध समितियों के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

तोमर

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