गोरखपुर, 7 नवंबर . आस्था को सम्मान और श्रद्धार्चन वाले स्थलों के कायाकल्प से पर्व और त्योहारों की रौनक और बढ़ गई है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण राप्ती नदी के राजघाट के दोनों तटों पर लोक आस्था के महापर्व छठ पर नजर आ रहा है. तीन साल पहले तक राजघाट के आमने-सामने के तटों पर गंदगी, अव्यवस्था और दलदल से श्रद्धालुओं को भारी परेशानी होती थी, तो वहीं योगी सरकार ने इन दोनों तटों का पर्यटन विकास कराकर छठ और स्नान पर्वों के लिए शानदार श्रद्धा स्थल बना दिया है. यही नहीं शासन के निर्देश पर यहां श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए चाक चौबंद इंतजाम और सुंदर सजावट देखते ही बन रही है.
गोरखपुर की गंगा मइया राप्ती नदी का राजघाट मानव काया के अंतिम पड़ाव के रूप में जाना जाता है. इसके आमने-सामने के दोनों तट दलदल और अव्यवस्था की चपेट में रहते थे. यहां आने के बदहाल रास्ते, घाट पर पसरी गंदगी, स्नान के लिए कोई भी पक्का घाट नहीं और बुनियादी सुविधाओं के नाम पर शून्य देख लोगों का मन खिन्न रहता था. कोई भी व्यवस्था न होने से लोगों को काफी असुविधा होती थी. काफी पहले से लोगों ने यहां पक्के स्नान घाट की मांग उठा रखी थी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके साथ ही उन्हें पर्यटन स्थल की अनूठी सौगात भी दे दी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर वर्ष 2021 में करीब 34 करोड़ रुपये की लागत से इन दोनों तटों का जीर्णोद्धार कराकर इसे राजस्थानी स्थापत्य शिल्प से सुसज्जित कर दिया गया है. पूर्वी तट का नाम गुरु गोरक्षनाथ घाट और पश्चिमी तट का नाम रामघाट रखा गया है. 16 फरवरी 2021 को सीएम योगी ने इन दोनों घाटों का लोकार्पण किया था.
ये दोनों घाट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन से निखर-संवर गए हैं. राजघाट को न केवल सौन्दर्यीकृत किया गया है बल्कि पुरुषों और महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम, प्रसाधन समेत सभी जरूरी सुविधाओं की मुकम्मल व्यवस्था कर दी गई है. इससे अब छठ और स्नान पर्वों पर श्रद्धालु काफी प्रसन्न नज़र आते हैं. पूर्व में छठ और स्नान पर्वों पर जहां अव्यवस्थाओं के बीच पूजा करने और डुबकी लगाने की औपचारिकता पूरी होती थी, वहीं अब तीन साल से श्रद्धा और आस्था का उल्लास देखते ही बनता है. छठ महापर्व पर राजस्थानी शैली के आकर्षक लघु गुम्बदनुमा ठौर को फूलों और रंगीन कपड़ों से सजाकर और भी मनमोहक बना दिया गया है.
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/ प्रिंस पाण्डेय
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