लखनऊ, 17 नवंबर . बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में अवध चित्र साधना की ओर से आयोजित दो दिवसीए फिल्म महोत्सव का समापन रविवार को हो गया. समापन समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक अनंत विजय ने कहा कि भारतीय दृष्टि को ध्यान में रखकर फिल्म बनाई जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता हो या सिनेमा हमें वही समाज को परोसना चहिए जिसमें देश व समाज को हित हो.
अनंत विजय ने कहा कि फ़िल्म निर्माण में फ़िल्म निर्माता द्वारा विचारों को दृश्य के रूप में प्रस्तुत करना आसान नहीं है एक बड़ी चुनौती है. आज के डिजिटल युग कम समय में कहानी कहने का प्रचलन चला है.
विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोजकांत ने विद्यार्थियों को फ़िल्म निर्माण में कहानियों के महत्व और कहानी चुनाव के बारे में विस्तार से बताया.
विशिष्ट अतिथि विधान परिषद सदस्य पवन चौहान ने कहा भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण रोल है क्योंकि अधिकतर कहानियाँ उत्तर प्रदेश या उत्तर भारत से जुड़ी है इसके संदर्भ में उन्होंने कहा कि फ़िल्म शोले की कहानी उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद से जुड़ी हुई है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीबीएयू के कुलपति प्रोफेसर एन.एम.पी. वर्मा ने कहा कि नोएडा फ़िल्म सिटी और ज़ेवर एयरपोर्ट के संचालन से लखनऊ में फ़िल्म निर्माताओं के लिए बेहतर अवसर मिलेगा. इसके साथ उन्होंने कहा कि जन संचार पत्रकारिता विभाग ने इस विषय की शुरुआत कर बी ए फ़िल्म थिएटर और मीडिया स्टडीज का कोर्स शुरू किया.
बॉलीवुड फ़िल्म कलाकार डॉ. अनिल रस्तोगी ने कहा “फ़िल्म निर्माण और कला के क्षेत्र में उम्र मात्र एक नंबर है. आज मेरी उम्र 81 वर्ष से अधिक है लेकिन मैं लगातार अपना अच्छा किरदार निभाने की कोशिश करता हूँ”. इस सत्र में डॉ. अनिल रस्तोगी से बात करते हुए रमा अरुण त्रिवेदी ने अपने बीते हुए लम्हों की यादों को ताजा किया.
प्रो. गोविन्द पाण्डेय ने बताया कि अवध फिल्म फेस्टिवल में देशभर से कुल सौ फिल्मे आयी थी. जिनमे कुल 54 फिल्मों का चयन प्रतियोगिता के लिए किया गया.
कैंपस श्रेणी में श्रेष्ठ निर्देशन के लिए ‘द डिलेवरी’ निर्देशित अर्पित गुप्ता को, श्रेष्ठ छायांकन के लिए दाग निर्देशित पलक कुमारी को, श्रेष्ठ फिल्म के लिए रोशनी निर्देशित अनिमेष नमन को और श्रेष्ठ डाक्यूमेंट्री के लिए संयुक्त फिल्म बिजली महादेव मंदिर निर्देशित धीरेंद्र सिंह और दिलकुशा निर्देशित प्रगति पांडे को तथा श्रेष्ठ समीक्षा के लिए संयुक्त फिल्म गोमती सवाल अस्तित्व का निर्देशित आशीर्वाद दीक्षित और जल्दी जाना है क्या के नीतीश कुमार फिल्म को मिला.
प्रोफेशनल श्रेणी में श्रेष्ठ निर्देशन के लिए मटर पनीर निर्देशित चंदन मल्लाह को , श्रेष्ठ छायांकन के लिए ट्रम्पेट निर्देशित आशीष भथरी को, श्रेष्ठ फिल्म के लिए त्वमेव सर्वम निर्देशित मनोज तिवारी को पुरस्कृत किया गया. श्रेष्ठ डॉक्यूमेंटरी के लिए गल देव : एक अनोखी मान्यता निर्देशित तनिष्क भूरिया और श्रेष्ठ समीक्षा के लिए संक्युक्त फ़िल्में अक्षरा निर्देशित शिवम भास्वर और फ़िल्म ज़ुबान निर्देशित प्रफुल्ल पांडेय को मिला.
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/ बृजनंदन
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