– एमएलबी कन्या महाविद्यालय भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस पर आयोजित हुआ पुष्पांजलि कार्यक्रम
भोपाल, 15 नवंबर . भगवान बिरसा मुंडा शौर्य एवं पराक्रम के प्रतीक हैं. उन्होंने न केवल अंग्रेजों की पराधीनता के विरुद्ध स्वतंत्रता के संघर्ष का शंखनाद किया, बल्कि समाज को संगठित कर राष्ट्र के लिए बलिदान देने वाले स्वाधीनता सेनानी तैयार किए. भगवान बिरसा मुंडा ने समाज की बुराइयों पर नियंत्रण एवं सुधार के लिए भी अपना योगदान दिया. जिसने अपने मात्र 25 वर्ष के जीवन में देश के लिए बलिदान देकर राष्ट्र रक्षा के संकल्प लिया और उसके लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए, राष्ट्र के ऐसे क्रान्तिसूर्य के शौर्य एवं पराक्रम पर सभी को गर्व करने की आवश्यकता है.
यह बात उच्च शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने शुक्रवार को भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती पर मनाए जा रहे जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य पर भोपाल स्थित शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई कन्या स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में आयोजित पुष्पांजलि कार्यक्रम में कही. उन्होंने उलगुलान के उद्घोषक और धरती आबा कहे जाने वाले जनजातीय गौरव भगवान बिरसा मुंडा जी के छायाचित्र पर पीत अंगवस्त्र ओढ़ाकर, पुष्पांजलि अर्पित की. श्री परमार ने सभी को भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती की शुभकामनाएं एवं बधाई दीं.
मंत्री परमार ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का शौर्य एवं पराक्रम से समृद्ध अल्पायु जीवन, प्रेरणादायक एवं अनुकरणीय है. जनजातीय गौरव दिवस, यह जनजातीय समाज के गौरव का दिवस नहीं बल्कि हम सभी के लिए गौरव करने का अवसर है. उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन से जुड़े प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उनके दूरदर्शितापूर्ण दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला.
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस के रूप में जनजातीय बलिदानियों का स्मरण करना, भारत के इतिहास को सही परिप्रेक्ष्य में लिखा जाने की ओर महत्वपूर्ण कदम है. भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, मधु भगत, चक्र बिसोई, राजा शंकरशाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह सहित अनेकों जनजातीय बलिदानियों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. ऐसे जनजातीय बलिदानियों के संघर्ष और इतिहास को सही परिप्रेक्ष्य में पढ़ने एवं समझने की आवश्यकता हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में, पूरे देश को भगवान बिरसा मुंडा के जन्म जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में जनजातीय बलिदान की श्रृंखला को स्मरण करने का अवसर मिला है.
मंत्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने भारत के गौरवशाली इतिहास, परम्परा, ज्ञान-विज्ञान, संस्कृति एवं दर्शन सहित समस्त भारतीय दृष्टिकोण को शिक्षा में समाहित करने का अवसर दिया है. भारतीय ज्ञान परम्परा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का अभिन्न अंग है. उन्होंने ग्रामीण परिवेश में गृहिणियों की रसोई को भारतीय ज्ञान का कुशल एवं श्रेष्ठ प्रबंधन बताया. परमार ने कहा कि 2047 में विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने सभी की सहभागिता की आवश्यकता है. हम सभी के योगदान से वर्ष 2047 तक भारत विश्वमंच पर हर क्षेत्र में सिरमौर बनेगा.
प्रधानमंत्री मोदी के शहडोल में आयोजित समारोह में ऑनलाइन जुड़कर वर्चुअल संबोधन के सजीव प्रसारण किया गया. राज्यपाल मंगु भाई पटेल एवं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के संबोधन का भी सीधा प्रसारण का किया गया. कार्यक्रम में उच्च शिक्षा आयुक्त निशांत बरबड़े, महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष डॉ अजय नारंग, विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी उच्च शिक्षा डॉ धीरेंद्र शुक्ल, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अजय कुमार अग्रवाल एवं कार्यक्रम संयोजिका डॉ सविता भार्गव सहित महाविद्यालय के प्राध्यापकगण एवं छात्राएं उपस्थित रहीं.
तोमर
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