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जीएमसी कठुआ मात्र सफेद हाथी, अपने ही स्वास्थ्य कर्मी को इलाज के लिए कर दिया पंजाब के निजी अस्पताल में स्थानांतरित

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कठुआ 01 नवंबर . जीएमसी कठुआ की इमारत की ओर देखा जाए तो शायद हर एक के मन में यही सोच होगी कि इस अस्पताल में बेहतर इलाज की सुविधा मिलती होगी. लेकिन करोड़ों रुपए की लागत से बना जीएमसी सुविधाओं के मामले में शुन्य है. जिला अस्पताल को भी जीएमसी के साथ एसोसिएट किया गया है जबकि ठीक उसके सामने राष्ट्रीय राजमार्ग की दूसरी ओर करोड़ों रुपए की लागत से जीएमसी कठुआ की इमारत बनाई गई है जो मात्र सफेद हाथी से कम नहीं है. सफेद हाथी का दर्जा जीएमसी कठुआ को इसलिए दिया जा रहा है क्यूंकि बीते गुरूवार को हुए स्वास्थ्य कर्मी पर हमले के बाद कठुआ जीएमसी के डॉक्टर अपने ही स्वास्थ्य कर्मी का बेहतर इलाज नहीं कर पाए. जबकि जिला प्रशासन और यूटी सरकार आए दिन जीएमसी और स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतर सुधार की बात करती नजर आती है. आए दिन जीएमसी में नई-नई तकनीकी मशीनें लगाई जाने की बात होती है लेकिन अपने ही स्वास्थ्य कर्मी को बेहतर इलाज के लिए पड़ोसी राज्य पंजाब के अमृतसर में स्थानांतरित किया गया. जिसके चलते लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि अगर अपने ही स्वास्थ्य कर्मी को इलाज के लिए किसी निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर रहे हैं तो आम जनता का क्या हाल होता होगा. जबकि सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके जीएमसी कठुआ में हाईटेक मशीनें इंस्टॉल की गई है बेहतर सुविधा देने का दावा किया जाता है, उसके बावजूद भी अपने ही स्वास्थ्य कर्मी को पंजाब के निजी अस्पताल में स्थानांतरित करना जीएमसी सवालों के घेरे में है.

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/ सचिन खजूरिया

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