पटना, 05 नवम्बर . लोक गायिका शारदा सिन्हा का आज दिल्ली में देहांत हो गया. लोकगीतों के जरिए पहचान बनाने वाली बिहार की लोकप्रिय गायिका शारदा सिन्हा का जन्म 01 अक्टूबर 1952 को बिहार में सुपौल जिले के हुलास में हुआ था. उनका ससुराल बेगूसराय जिले के सिहामा गांव में है. उन्होंने मैथिली लोकगीत गाकर अपने करियर की शुरुआत की.छठ गीतों की पहचान बनीं शारदा सिन्हा को बिहार की लता मंगेशकर की संज्ञा दी जाती थी. छठ पर्व को उनके गानों के बिना अधूरा सा समझा जाता है.
शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला, बिहार की कोयल कहा जाता था. शारदा सिन्हा ने विवाह गीत, छठ गीत जैसे कई क्षेत्रीय गीत गाए हैं. 1991 में उन्हें संगीत में उनके योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार मिला. उन्हें 2018 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
शारदा सिन्हा भोजपुरी, मैथिली, मगही और हिन्दी में गाती हैं. प्रयाग संगीत समिति ने इलाहाबाद में बसंत महोत्सव का आयोजन किया, जहां सिन्हा ने वसंत ऋतु की थीम पर आधारित कई गीत प्रस्तुत किए. जहां लोक गीतों के माध्यम से वसंत के आगमन का वर्णन किया गया. वह छठ पूजा उत्सव के दौरान नियमित रूप से प्रस्तुति देती हैं. जब मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम बिहार आये तो भी उन्होंने प्रस्तुति दी.
शारदा सिन्हा ने हिट फिल्म मैंने प्यार किया (1989) में काहे तोसे सजना, बॉलीवुड फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट-2 से तार बिजली और बॉलीवुड फिल्म चारफुटिया छोकरे से कौन सी नगरिया गाना भी गाया.
छठ का पर्याय रहीं लोक गायिका शारदा सिन्हा एक दशक बाद 2016 में छठ पर दो नए गीत लेकर आई थी. भक्ति गीतों का उनका आखिरी एल्बम 2006 में रिलीज हुआ था. सुपावो ना मिले माई और पहिले पहिल छठी मैया जैसे गीतों के साथ, शारदा लोगों से छठ के दौरान बिहार आने का आग्रह कर रही हैं. त्योहार के दौरान बजाए जाने वाले अन्य छठ गीतों में केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झाके झुके, हे छठी मईया, हो दीनानाथ, बहंगी लचकत जाए, रोजे रोजे उगेला, सुना छठी माई, जोड़े जोड़े सुपावा और पटना के घाट पर शामिल हैं. हालांकि शारदा जी के ये गीत पुराने हैं लेकिन छठ पर्व आते ही प्रासंगिक हो जाते हैं और भक्तों की जुबान पर छा जाते हैं.
छठ पर शारदा सिन्हा के आखिरी एल्बम, आराग में आठ गाने थे. अपने पूरे करियर में उन्होंने टी-सीरीज़, एचएमवी और टिप्स द्वारा जारी नौ एल्बमों में 62 छठ गीत गाए हैं.
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/ गोविंद चौधरी
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