जम्मू, 15 नवंबर . मार्गशीर्ष संक्रांति का सनातन धर्म में विशेष महत्व है शास्त्रों के अनुसार यह संक्रांति अनेक तरह के पापों के प्रायश्चित और नाश करने वाली होती है. मार्गशीर्ष संक्रांति के दिन सूर्य देव तुला राशि को छोड़ वृश्चिक राशि में प्रवेश करते है इसी वजह से इस संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति भी कहते हैं मार्गशीर्ष संक्रांति के विषय में इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के *अध्यक्ष (ज्योतिषाचार्य) महंत रोहित शास्त्री* ने बताया इस साल सन् 2024 ई. को सूर्य देव वृश्चिक राशि में 16 नवंबर शनिवार सुबह 07 बजकर 32 मिनट पर प्रवेश करेंगे. मार्गशीर्ष संक्रांति मु.30,मार्गशीर्ष संक्रांति का पुण्य काल 16 नवंबर शनिवार दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से तक रहेगा. इस दिन जप,तप,स्नान,दान आदि करना शुभ होगा.
मार्गशीर्ष संक्रांति के दिन दान का बड़ा महत्व बताया है. इस दिन शुद्ध घी,तिल, सरसो के तेल एवं कंबल दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है मार्गशीर्ष संक्रांति के अवसर पर गंगास्नान,नदी,सरोवर, एवं गंगातट पर दान को अत्यंत शुभकारक माना गया है इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है. अगर किसी कारण के चलते आप गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर सकते हो तो घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान अवश्य करें,ऐसा करने से गंगा स्नान का पूरा फल मिलता है.
यह संक्रांति अनाज आदि रोजाना उपभोग्य वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होगी, राजनीतिक दलों में आपसी खींचातानी बढ़ेगी, राजनीतिक उथल पुथल भी होगी, किसी राज्य में सत्ता परिवर्तन हो सकता है, जनता अचानक क्लिष्ट रोगी से पीड़ित होगी और निरीह लोगों की अचानक मृत्यु के योग भी हैं. नीच प्रवृत्ति वाले, दुष्ट और पशुओं का व्यापार करने वाले लोगों के लिए यह संक्रांति संक्रांति शुभ होगी,भूकंप होगा,जनता के आक्रोश की भावना अधिक होगी,किसी बड़ी हस्ती की अचानक मृत्यु होगी, सड़क दुर्घटना एवं अग्निकांड से कोई बड़ा हादसा हो सकता है,यह संक्रांति वृष, सिंह,मिथुन, कर्क,सिंह, वृश्चिक, धनु , मकर एवं कुम्भ राशि वालों के लिए शुभ होगी.
/ राहुल शर्मा
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