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माता शिव पार्वती की पूजा कर संतानों के दीर्घायु की कामना

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महोबा,10 सितंबर (Udaipur Kiran) .संतान सप्तमी व्रत कथा भाद्रपद शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी व्रत किया जाता है. यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इस साल यह व्रत आज Tuesday 10 सितंबर को है. इस व्रत शंकर पार्वती की पूजा की जाती है. माताओं ने हर्षोल्लास के साथ भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा की है.

जनपद मुख्यालय के पड़ाव के हनुमान जी मंदिर के महंत पं. वीरेंद्र कुमार शुक्ला ने बताया कि संतान सप्तमी व्रत कथा के बारे में बताया कि एक दिन धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान से कहा कि हे प्रभु कोई ऐसा व्रत बताइए, जिसके प्रभाव से मनुष्यों के अनेक संसारिक क्लेश दुख दूर हो जाएं और वह पुत्रवान-पौत्रवान हो जाएं. तब भगवान बोले-हे राजन तुमने बड़ा ही उत्तम प्रश्न किया है. मैं तुमको एक पौराणिक इतिहास सुनाता हूं. एक समय लोमष ऋषि ब्रजराज की Mathura पुरी में वसुदेव-देवकी के घर गए. ऋषिराज को आया हुआ देख दोनों बहुत खुश हुए. उनको उत्तम आसन पर बैठाकर उनका अनेक प्रकार से वंदन और सत्कार किया. फिर मुनि के चरणोदक से अपने घर और शरीर को पवित्र किया.वह प्रसन्न होकर उनको कथा सुनाने लगे.

ऋषि लौमष ने कहा कि हे देवकी, दुष्ट दुराचारी पापी कंस ने तुम्हारे कई पुत्र मार डाले हैं जिसके कारण तुम दुखी हो.इसी प्रकार राजा नहुष की पत्नी चंद्रमुखी भी दुखी रही थी लेकिन उसने संतान संप्तमी का व्रत विधि विधान से किया. ये सुनकर देवकी ने हाथ जोड़कर मुनि से कहा कि हे ऋषिराज कृपा कर रानी चंद्रमुखी का संपूर्ण वृतांत विस्तार सहित मुझे बतलाइए, जिससे मैं भी इस दुख से छुटकारा पा सकूँ.

तब लोमष ऋषि ने Ayodhya के राजा नहुष की पत्नी चंद्रमुखी की तीन जन्माें की कहानी बताते हुए उसके द्वारा भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के व्रत,भगवान शिव व माता पार्वती के पूजन की कथा सुनाई व इस व्रत का माहात्म्य बताया तथा देवकी से भी इस व्रत काे करने काे कहा. महिलाओं ने विधि विधान से पूजा कर इस उत्तम पुनीत व्रत को किया और अपनी संतान की दीर्घायु की कामना की. यह व्रत संतान सुख देने वाला व समस्त पापों को नाश करने वाला है.

(Udaipur Kiran) / Upendra Dwivedi

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