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बारह दिन पहले कार से कुचला ब्रेन डेड टोलकर्मी बचाएगा चार जिंदगियां

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जयपुर, 3 नवंबर . करीब बारह दिन पहले डांगियावास टोल प्लाजा पर कार की टक्कर से गंभीर घायल दीपक (24) के परिजनों ने उसके चार ऑर्गन डोनेट किए हैं. ब्रेन डेड दीपक की दाे किडनी, लिवर और पैंक्रियाज को अब जरूरतमंद को ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा. इस दौरान एम्स से एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. लीवर को जोधपुर एम्स में ही ट्रांसप्लांट किया गया. दोनों किडनियों को दिल्ली के आईएलबीएस और पैंक्रियाज को चंडीगढ़ के पीजीआई इंस्टीट्यूट में भेजा गया.

दीपक के चाचा के लड़के सुखबीर सिंह जाट ने बताया कि 21 अक्टूबर को भाई दीपक डांगियावास के टोल प्लाजा पर ड्यूटी दे रहा था. इस दौरान एक तेज रफ्तार कार की टक्कर से वह बुरी तरह घायल हो गया था. कार की स्पीड इतनी तेज थी कि कुछ सैकेंडों तक किसी को मालूम ही नहीं चला कि हुआ क्या है. इसके बाद बारह दिन से वह एम्स (जोधपुर) में भर्ती था. आज हमने अंगदान का फैसला लिया. दीपक के पिता श्रीलाल ने बताया कि वो खेती बाड़ी का काम करते हैं. पिछले दो माह से दीपक डांगियावास टोल प्लाजा पर काम कर रहा था. हादसे के बाद एम्स लाया गया. जहां ब्रेन डेड होने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें अंगदान की सलाह दी. हमारा बच्चा तो अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसकी वजह से किसी और की जान बचाई जा सकें इसलिए अंगदान करने का निर्णय लिया. अच्छी बात है कि हमारे बच्चे के ऑर्गन से किसी की जिंदगी बच सकेगी.

एम्स के किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉक्टर ए एस संधू ने बताया कि डोनर दीपक का हादसे में उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी. इसकी वजह से वो ब्रेन डेड हो गए थे. उनके हॉस्पिटल में लाने के बाद टेस्ट किए गए जिसमें उनके ब्रेन डेड होने की पुष्टि हुई. इसके बाद उनके परिजनों को बताया गया. उन्हें अंगदान करने को लेकर भी जानकारी दी गई. परिजनों की सहमति के बाद अंगदान की प्रक्रिया शुरू की गई. इसके तहत दीपक की दो किडनी, लिवर और पैंक्रियाज से चार लोगों की जिंदगी बचाई जाएगी. लीवर ट्रांसप्लांट एम्स जोधपुर में किया गया. जबकि एक किडनी दिल्ली के आईएलबीएस हॉस्पिटल और एक किडनी, पैंक्रियाज पीजीआई चंडीगढ़ भेजी.

एम्स जोधपुर के हार्ट, किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉक्टर एएस संधू ने बताया कि लिवर को 12 घंटे, किडनी 30 घंटे और पैंक्रियाज को 6 घंटे में लगाना पड़ता है. इन्हें एक विशेष बॉक्स में स्पेशल सॉल्यूशन के साथ प्रिजर्व करके रखा जाता है. इसके अलावा कम टेंपरेचर के लिए उन्हें बर्फ में रखा जाता है. सिर में चोट लगने के बाद कई बार ब्रेन काम करना बंद कर देता है. इस मामले में पेशेंट कब तक जिंदा रह सकता है कुछ कह नहीं सकते. एम्स अस्पताल डायरेक्टर डॉक्टर महेश देवनानी ने बताया कि परिजनों की ओर से अंग डोनेट करने का निर्णय किया गया है जो सराहनीय है. इसके लिए जोधपुर पुलिस, प्रशासन का भी सहयोग रहा. जिसके जरिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एयरपोर्ट तक ले जाया गया. दीपक के परिवार ने जो साहस दिखाया है उससे समाज को प्रेरणा मिलेगी. उन्होंने बताया कि इस साल का एम्स में ये पांचवां डोनेशन है. इस दौरान टीम ने एनेस्थीसिया के डॉक्टर मनोज कमल, भरत पालीवाल सहित टीम का सहयोग रहा.

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/ रोहित

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