-पहली बार रिचार्जेबल बल्ब का भी किया जाएगा उपयोग
-लाइट जाने की स्थिति में भी मेला क्षेत्र और शिविरों में नहीं होगी जीरो लाइट की स्थिति
प्रयागराज, 11 नवम्बर . इस बार महाकुम्भ की भव्यता और दिव्यता में रोशनी का भी महत्वपूर्ण योगदान होगा. शाम के समय मेला क्षेत्र की चमचमाती रोशनी गंगा और यमुना की कलकल बहती निर्मल धारा को और भी अलौकिक रूप प्रदान करेगी. इस अलौकिक दृश्य को श्रद्धालु बिना किसी बाधा के अपनी आंखों से निहार सकें, इसके लिए योगी सरकार इस बार अनूठी पहल करने जा रही है.
पहली बार पूरे मेला क्षेत्र को 24 गुणे 7 रोशन बनाए रखने के लिए पूरे मेला क्षेत्र में 40 हजार से अधिक रिचार्जेबल लाइट्स (रिचार्जेबल बल्ब) का उपयोग किया जा रहा है. ये बल्ब खुद को रिचार्ज करते हैं और बिजली जाने पर भी रोशनी देते रहते हैं. इससे यदि किसी फॉल्ट या अन्य वजह से अचानक बिजली चली जाती है तो भी ये बल्ब कभी अंधेरा नहीं होने देते. महाकुम्भ ही नहीं, उत्तर प्रदेश में पहली बार इस तरह की लाइट्स का उपयोग किसी बड़े आयोजन में होने जा रहा है.
नहीं होगी जीरो लाइट की स्थिति
मेला क्षेत्र में विद्युत विभाग के प्रभारी अधिशासी अभियंता अनूप कुमार सिन्हा ने बताया कि जो विद्युत संयोजन हम लोग शिविरों में देंगे उसमें हमने इस बार नॉर्मल एलईडी बल्ब के साथ ही रिचार्जेबल बल्ब भी उपयोग में लाने का निर्णय लिया है. इस बार पूरे मेला क्षेत्र में हमें साढ़े चार लाख कनेक्शन देने हैं तो उसके 1/10 के आसपास यानी 40 से 45 हजार के बीच रिचार्जेबल बल्ब भी लगाए जाएंगे. रिचार्जेबल बल्ब में इनबिल्ट बैटरी होती है, जो लाइट चालू रहने पर चार्ज होती रहती है. बिजली जाने पर, ये बैटरी ही बल्ब को रोशन रखती है.
उन्होंने बताया कि इसका लाभ ये होगा कि यदि किसी कैंप में 5-6 बल्ब लगे हैं और किसी कारण से लाइट चली गई तो एक रिचार्जेबल बल्ब भी जलता रहेगा तो जीरो लाइट या अंधेरे की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी. उन्होंने बताया कि हमने बैकअप लाइट की भी व्यवस्था की है, जिसके लिए जेनसेट वगैरह का उपयोग व्यापक पैमाने पर होगा, जहां हम सप्लाई को एक से दो मिनट में रिस्टोर कर लेंगे. लेकिन इस एक से दो मिनट के बीच में भी हमारा प्रयास जीरो लाइट्स की स्थिति उत्पन्न नहीं होने देना है.
पहली बार महाकुम्भ में होगा उपयोग
उन्होंने बताया कि ये रिचार्जेबल लाइट्स नॉर्मल बल्ब के साथ ही लगाई जाएंगी. नॉर्मल बल्ब की तरह ही इनकी भी रोशनी होगी. हालांकि यदि किसी वजह से लाइट जाती है तो बाकी बल्ब ऑफ हो जाएंगे लेकिन यह बल्ब काम करता रहेगा. उन्होंने बताया कि विद्युत विभाग की जो परियोजनाएं महाकुम्भ मेला क्षेत्र में चल रही है, उसी में से इन बल्ब के लिए फंड की व्यवस्था की जाएगी. अमूमन एक रिचार्जेबल बल्ब की कीमत लगभग 600 से 700 के बीच होती है. ऐसे में 45 हजार बल्ब लगाने पर इसमें करीब 2.7 करोड़ रुपये का खर्च आने की सम्भावना है. हालांकि, बल्ब की संख्या शिविरों की संख्या के अनुपात में घट-बढ़ भी सकती है. उन्होंने बताया कि रिचार्जेबल बल्ब का कांसेप्ट अभी एक-दो साल पहले ही आया है. अभी यह प्रयोग प्रदेश के अंदर किसी बड़े मेले या बड़े आयोजन में नहीं किया गया है. पहली बार महाकुम्भ में इसका उपयोग किया जा रहा है.
दो हजार सोलर हाईब्रिड लाइट्स का भी होगा उपयोग
मेला क्षेत्र में स्थापित शिविर ही नहीं, बल्कि शिविरों के बाहर भी लाइट जाने पर अंधेरा न हो, इसकी पुख्ता व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने बताया कि शिविर के बाहर हम 67 हजार नॉर्मल लाइट्स की व्यवस्था कर रहे हैं और इसके भी बैकअप के लिए हमने 2 हजार सोलर हाईब्रिड लाइट्स की व्यवस्था की है. सोलर हाईब्रिड लाइट्स ऐसी लाइट्स होती हैं जो लाइट जाने पर भी लगातार काम करती रहेगी. इसमें बैटरी का बैकअप है जो सूर्य की किरणों से चार्ज होती है. लाइट जाने की स्थिति में यह बैट्री के माध्यम से रोशनी देती है. ये दो हजार सोलर हाईब्रिड लाइट्स भी जीरो लाइट्स की आशंका को खत्म करने के लिए उपयोग में लाई जा रही हैं.
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/ विद्याकांत मिश्र
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