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मोहसिन रजा ने यूपी क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ खोला मोर्चा

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– आरोप है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के इशारे पर होता है सारा खेल

लखनऊ, 05 नवंबर . उत्तर प्रदेश में अपने बच्चे को अगर क्रिकेट खिलाना चाह रहे हैं तो जेब में रुपये होने चाहिए. यहां होनहार होना पर्याप्त नहीं है, अंडर 16 में खेलना है तो छह लाख, अंडर 19 में खेलना है तो 20 लाख और अंडर 23 खेलना है तो 30 लाख और रणजी खेलना है तो 30 से 50 लाख रुपये दीजिए टीम में सेलेक्शन हो जाएगा. यह आरोप उत्तर पूर्व क्रिकेटर मोहसिन रजा ने लगाए हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री व उप्र हज कमेटी के चेयरमैन मोहसिन रजा ने यूपी क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ऐसोसिएशन पर युवाओं से धनउगाही, पैसों की हेराफेरी, सरकारी सम्पत्तियों का दोहन समेत कई आरोप लगाए हैं. पूर्व क्रिकेटर मोहसिन रजा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर शिकायत की है.

मोहसिन रजा ने कहा कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का पिछले कुछ वर्षों से स्वरूप बदल गया है. मैं पूर्व में क्रिकेटर रहा हूं. इसलिए लोगों ने मुझसे सम्पर्क किया. इन सारी चीजों से अवगत कराया. इस पर आरटीआई के माध्यम से सूचनाएं ली गयीं तो पता चला कि यह वह संस्था है ही नहीं जिसके तहत हम लोग खेला करते थे, इसमें तो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व बीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला का नाम लिए बगैर मोहसिन रजा ने कहा कि इसमें कांग्रेस के बड़े नेता का हाथ है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में कांग्रेस के नेता ने तत्कालीन यूपी क्रिकटे एसोसिएशन के सचिव ज्योति बाजपेयी का सहारा लेकर आगे बढ़े. एसोसिएशन को प्राईवेट लिमिटेड में बदलकर खुद कब्जा कर लिए और बाजपेयी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया. मोहसिन रजा ने कहा कि जाहिर सी बात है कि कांग्रेस का जैसा चरित्र है, उनके नेता भी वैसे ही करेंगे. इसके बाद प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बनाकर प्रदेश के युवाओं को गुमराह किया गया. आरोप है कि कांग्रेस नेता का बेहद करीबी कहे जाने वाला अकरम शैफी सारा खेल करता है. बच्चों को क्रिकेट खिलाने के लिए उनसे पैसे लिए जाते हैं. ऐसे ही तमाम प्रकरण सामने आए. अकरम के खिलाफ मुकदमें भी लिखे गए हैं.

पूर्व मंत्री व क्रिकेटर मोहसिन रजा ने से बात करते हुए बताया कि बीसीआई ने जब इनसे पूछा कि आपने कम्पनी क्यों बना ली ? इस पर इन्होंने कहा कि राज्य सरकार से उनकी नहीं बनती. लिहाजा प्राइवेट लिमिट कम्पनी बना ली. इनका यह दावा भी झूठा साबित हुआ. जिस सरकार से खराब रिस्तों का जिक्र किया, उसी सरकार ने कानपुर का ग्रीन पार्क स्टेडियम इन्होंने तीस साल के लिए लीज पर ले लिया. लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि इसी रिपोर्ट के आधार पर बीसीसीआई और राज्य के सभी क्रिकेट एसोसिएशन चलने थे. यूपी क्रिकेट एसोसिएशन ने लोढ़ा कमेटी की गाइड लाइन नहीं मानी.

यूपी क्रिकेट एसोसिएशन लिमिटेड कम्पनी कहती है कि वह नो प्राफिट नो लास पर चलती है. उसकी कोई आय नहीं है. लेकिन 100 करोड़ से अधिक की इनकी आयकर विभाग की देनदारी है. अगर प्राफिट नहीं था तो यह इनकमटैक्स की नोटिस इन्हें क्यों आ गयी. यूपीसीए ने इसके खिलाफ ट्रिब्यूनल में मुकदमा किया है.

मोहसिन रजा ने आरोप लगाया कि इससे साबित हो गया है कि उप्र क्रिकेट एसोसिएशन बेपटरी हो चुका है. सरकारी सम्पत्तियों का दोहन हो रहा है. बच्चों के भविष्य के साथ खिलावाड़ किया जा रहा है. उनके साथ अन्याय हो रहा है. चयन प्रक्रिया ध्वस्त हो चुकी है. अकरम सैफी नाम का व्यक्ति जो टीम दिल्ली से भेज देता है, वही टीम यहां से भी जारी कर दी जाती है. पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि दो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स पर पैसे के लेनदेन, 420 जैसी धाराओं में मुकदमा पंजीकृत है. इनके टीम सेलेक्टर्स पर भी मुकदमे हैं. यूपीसीए के पूर्व और मौजूदा मुख्य कार्यकारी अधिकारी के खिलाफ मुकदमे हैं. अकरम सैफी और नेता जी पर भी मुकदमा है. इनकी तमाम शिकायतें आ रही थीं. फिर भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसलिए हमने मुख्यमंत्री योगी से इसकी शिकायत की है. जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. हम चाहते हैं कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो और युवाओं को न्याय मिले.

यह हैं आरोप

-बच्चों से पैसे लेकर टीम में सेलेक्ट करना

-अंडर 16 टीम में सेलेक्शन के लिए छह लाख रुपये

-अंडर 19 में खिलाने के लिए 20 लाख रुपये

-अंडर 23 टीम में खिलानऊ के लिए 30 लाख

-रणजी खिलाने के लिए 30 से 50 लाख रुपये लिए जाते हैं

-अकरम शैफी नाम का व्यक्ति करता है सारा खेल

-कांग्रेस के एक बड़े नेता हैं इस सबके पीछे

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/ दिलीप शुक्ला

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