कोलकाता, 09 नवंबर . तीन महीने पहले आरजी कर अस्पताल में एक चिकित्सक के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले ने पश्चिम बंगाल में एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा कर दिया. इस घटना के बाद जूनियर डॉक्टरों ने सुरक्षा और न्याय की मांग के साथ आंदोलन शुरू किया, जो धीरे-धीरे और भी कई मुद्दों को उठाते हुए सरकार के साथ टकराव में बदल गया जो कमोबेश अभी भी जारी है.
आरोपित सिविक वॉलंटियर संजय रॉय की गिरफ्तारी हुई, लेकिन जांच में कथित खामियों के चलते मामला सीबीआई को सौंपा गया. अब तक सीबीआई ने एक ही व्यक्ति को दोषी ठहराया है, जबकि आंदोलकारी और नागरिक समाज का एक हिस्सा इसे अधूरा मानता है और कहता है कि इसमें और लोग शामिल हैं. इस घटनाक्रम में आरजी कर के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष और टाला थाना के तत्कालीन प्रभारी अभिजीत मंडल को सबूत मिटाने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया.
इस आंदोलन ने शहर और राज्यभर में अभूतपूर्व समर्थन देखा. अगस्त 14 को हुए ‘महिलाओं की रातदखल’ कार्यक्रम से लेकर जनसभाओं और रैलियों में समाज के विभिन्न तबके ने भाग लिया. टॉलीवुड के कई सितारे और राजनीतिक दल के कुछ सदस्यों ने भी आंदोलन का समर्थन किया. यहां तक कि आंदोलनकारियों ने अपनी बात हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी रखी. इस दौरान आंदोलनकारियों के द्वारा किया गया ‘द्रोह का कार्निवाल’ चर्चित रहा, जिसमें प्रशासन और आंदोलनकारी एक-दूसरे के सामने खड़े हुए.
इस घटनाक्रम में कई बार बातचीत विफल हुई, क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लाइव स्ट्रीमिंग पर बातचीत का आंदोलनकारियों की मांग पर सहमति नहीं बनी. लेकिन फिर स्वास्थ्य भवन के सामने से जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल को आंशिक रूप से वापस लिया. बाद में डॉक्टरों ने अपने अनशन को भी समाप्त कर दिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि आंदोलन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है.
अब राज्य में जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन शांत प्रतीत हो रहा है, लेकिन राज्य का विपक्ष इसे 2026 के विधानसभा चुनावों तक जीवित रखने की कोशिश में है ताकि चुनाव में सत्ता विरोधी माहौल का राजनीतिक लाभ उठाया जा सके.
/ ओम पराशर
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