जोधपुर, 9 नवम्बर . राजस्थान उच्च न्यायालय ने आयुष कंपाउंडर -नर्स की जारी होने वाली अंतिम वरियता सूची में याची का नाम सम्मिलित किए जाने के आदेश जारी किए है. ईमित्र संचालक की त्रुटिवश कम अंक दर्शा दिए गए थे. साथ ही शिकायत निवारण नहीं होने पर रिट याचिका को पुनर्जीवित करने की छूट भी रहेगी. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पैरवी की. वरिष्ठ न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकलपीठ ने यह अहम आदेश जारी किए.
लालसोट, ज़िला दौसा निवासी नरसी लाल मीणा की ओर से अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी ने रिट याचिका दायर कर बताया कि याचिकाकर्ता ने डिप्लोमा इन आयुष नर्सिंग एवं फार्मेसी के प्रथम वर्ष में 731 अंक अर्जित किए और द्वितिय वर्ष में 845 अंक प्राप्त किए. तत्पश्चात उसने राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग कॉउन्सिल, जयपुर में पंजीयन भी करवा लिया. आयुष विभाग, जयपुर ने विज्ञप्ति 03.10.2023 से कम्पाउण्डर-नर्स जूनियर ग्रेड के कुल 1015 पदों के लिए हुई. भर्ती प्रक्रिया के पूर्ण होने के पश्चात 21 अक्टूबर 2024 को जारी प्रोविजनल मेरिट लिस्ट में से याची का नाम यह कहते हुए हटा दिया गया कि उसने ऑनलाइन आवेदन पत्र में डिप्लोमा कोर्स के प्रथम वर्ष में 731 के स्थान पर 723 लिखा गया था जिससे उसके 8 अंक कम हो गए, इस कारण अनुसूचित जनजाति वर्ग में अंतिम चयनित अभ्यर्थी से उसके प्राप्तांक कम है. बावजूद परिवेदना पेश करने, संशोधित प्रोविजनल मेरिट लिस्ट 24.10.2024 में भी उसे शामिल नहीं किया गया, जिस पर मजबूरन याची ने रिट याचिका के जरिये चुनौती दी.
याची की ओर से अधिवक्ता ख़िलेरी ने बताया कि ई-मित्र कार्मिक की गलती की वजह से याचिकाकर्ता को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है जबकि दस्तावेज सत्यापन काउंसलिंग का उद्देश्य ही ऑनलाइन आवेदन पत्र में अंकित तथ्यों का मूल दस्तावेज से मिलान कर अभ्यर्थियो के सही प्राप्ताकों से मेरिट लिस्ट बनाना होता है. ऐसे में अगर याची अपने अंक ऑनलाइन आवेदन पत्र में ज्यादा दर्शा देता तो विभाग उक्त अंको के आधार पर नियुक्ति कतई नहीं देता. ईमित्र संचालक/ कार्मिक की अनजाने में हुई गलती की सज़ा याची को देने से उसके साथ भारी अन्याय हो जाएगा जबकि मूल अंकतालिकाएं का सत्यापन भी भर्ती एजेंसी आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा किया जा चुका है. ऐसे में याची को चयन प्रक्रिया से बाहर कर देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है. याची की ओर से उक्त भर्ती प्रक्रिया में याची के वास्तविक प्राप्तांक को कंसीडर करते हुए अंतिम वरीयता सूची में शामिल करने की गुहार लगाई गई. बहस के दौरान अप्रार्थी विश्वविद्यालय और राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि याची का नाम नियमानुसार कंसीडर कर लिया जाएगा.
याची की ओर से बताया गया कि विभाग कभी भी अंतिम मेरिट लिस्ट और तत्पश्चात चयन सूची जारी कर सकती है और याची का नाम उसमें सम्मिलित नहीं होने पर उसके अधिकारों पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. पूर्व में भी काफ़ी न्यायिक दृष्टांतो में राजस्थान हाईकोर्ट ने ईमित्र द्वारा अभ्यर्थी के प्राप्तांको के संबंध में की गई ग़लती को अनजाने में की गई गलती मानते हुए वास्तविक प्राप्तांको को कंसीडर करने के निर्णय दिए हैं.
प्रकरण के तथ्यों और मामले की परिस्थितियो को देखते हुए राजस्थान हाइकोर्ट एकलपीठ ने रिट याचिका निस्तारित करते हुए आयुष विभाग द्वारा कम्पाउण्डर-नर्स भर्ती के लिए जारी होने वाली अंतिम मेरिट लिस्ट में याची को कंसीडर करने का अहम आदेश दिया. साथ ही, यदि याची का केस कंसीडर नही होता है या कोई शिकायत बकाया रहती है तो उसे रिट याचिका को पुनर्जीवित करने के लिए प्रार्थना पत्र पेश करने की छूट रहने का भी आदेश दिया.
/ सतीश
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