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फारबिसगंज कॉलेज में बीएड के द्विवर्षीय पाठ्यक्रम के अस्तित्व पर संकट

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अररिया 05 नवम्बर .

फारबिसगंज कॉलेज और पूर्णिया यूनिवर्सिटी प्रशासन की अकर्मण्यता के कारण फारबिसगंज कॉलेज में चल रहा बीएड पाठ्यक्रम के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है.

फारबिसगंज महाविद्यालय में सत्र 2013 -14 से बीएड पाठ्यक्रम की पढ़ाई हो रही है.शिक्षा शास्त्र के प्रमुख विनियामक निकाय (एनसीटीई)राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद है.

एनसीटीई विनियमन 2014 के अनुसार,बीएड पाठ्यक्रम के संचालन हेतु एक विभागाध्यक्ष सहित कुल 16 शिक्षकों की आवश्यकता होती है.लेकिन वर्तमान में फारबिसगंज महाविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में विभागाध्यक्ष सहित महज आठ शिक्षक ही मौजूद है और आठ शिक्षकों के पद रिक्त हैं. जबकि निष्पादन मूल्यांकन प्रतिवेदन समर्पित किए जाने की अंतिम तिथि 10 नवंबर 2024 निर्धारित है.

एनसीटीई के द्वारा दो महीने पूर्व ही 10 नवम्बर को निष्पादन मूल्यांकन प्रतिवेदन समर्पित करने की अंतिम तिथि घोषित की थी.अब जब एक सप्ताह से भी कम समय बचे हैं तो कॉलेज या यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा रिक्त शिक्षकों के पद को भरने की दिशा में किसी तरह की कवायद नहीं की जा रही है.ऐसे में द्विवर्षीय बीएड पाठ्यक्रम के जारी रहने पर संकट गहरा गया है.

बीएड प्रभाग में कार्यरत शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों के साथ पढ़ाई कर रहे छात्र अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित है.

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व में भी बीएड पाठ्यक्रम की मान्यता सत्र 2020-21 में रोक दी गई थी.लेकिन काफी संघर्ष के बाद शिक्षकों की भर्ती की गई और मान्यता वापस मिली.लेकिन पुनः कॉलेज और यूनिवर्सिटी प्रशासन उसी गलती को दोहरा रहा है और इस मसले को लेकर गैर जिम्मेवार बना हुआ है.प्राप्त जानकारी के अनुसार,बीएड के शिक्षकों को प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों से भी कम वेतन दिया जाता है.जिससे बार-बार शिक्षक बेहतर वेतन की आस में बीएड पाठ्यक्रम को छोड़कर चले जाते हैं.फलस्वरूप बीएड पाठ्यक्रम में शिक्षकों की कमी हो जाती है.हालांकि पटना उच्च न्यायालय ने अपने वाद संख्या सीडब्लूसीजे 105 34/2017 में शिक्षकों के लिए सम्मानित वेतन 52 हजारा 272 रूपये की व्यवस्था की थी.लेकिन पूर्णिया विश्वविद्यालय द्वारा हाइकोर्ट के निर्णय की अवहेलना की जा रही है और शिक्षकों को महज 28 हजार 160 रूपये मानदेय का ही भुगतान किया जाता है. जबकि बीएड शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता एमएड के साथ एनईटी परीक्षा में उत्तीर्ण या पीएचडी की उपाधि है.ऐसे में कम मानदेय पर शिक्षक बीएड पाठ्यक्रम को छोड़ दूसरे नौकरी में चले जाते हैं.

इस मामले को लेकर फारबिसगंज कॉलेज के प्रधानाचार्य पी.के. मल्लिक का पक्ष जानने के लिए उसके मोबाइल संख्या 6299585611 पर कई बार फोन किया गया,लेकिन उन्होंने फोन रिसीव करना उचित नहीं समझा.

/ राहुल कुमार ठाकुर

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