जबलपुर, 9 नवंबर . समरसता सेवा संगठन द्वारा भगवान सहस्त्रबाहु जी एवं संत नामदेव जी की जयंती के अवसर पर विचार संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन क्षत्रिय समाज भवन रानीताल में आयोजित किया गया. मुख्य अतिथि डॉ अखिलेश गुमास्ता ने संबोधित करते हुए कहा कि जो जोड़ता वह धर्म है एवं जो तोड़ता है वह अधर्म है और समरसता सेवा संगठन ने सभी समाज एवं वर्ग के लोगों को जोड़ने का काम किया है. एक छोटा सा बीज विशाल वटवृक्ष के रूप में समरसता सेवा संगठन के रूप हम सभी देख रहे हैं जो प्रत्येक जाति, समाज एवं वर्ग को जोड़ने का काम कर रहा है विशाल वटवृक्ष तब दिखाई देता हैं जब उसकी जड़ें मजबूत दिखाई देती हैं समरसता सेवा संगठन ने दो साल के कार्यकाल में अपनी जड़े बहुत मजबूत की हैं सभी को एक दूसरे से जोड़ने का काम किया है.
मुख्य वक्ता निर्मला नायक ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा समरसता का भाव अपने मन में उत्पन्न होना ही समर्थ भारत की नींव को मजबूती प्रदान करता है क्योंकि समर्थ भारत की स्थापना हेतु समरसता अतिआवश्यक है . समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना प्रत्येक महापुरुष जिन्होंने संपूर्ण जाति समाज के साथ ही मानव कल्याण हेतु अपने उपदेश दिए उनके विचारों को जन जन तक पहुंचाना समर्थ भारत की परिकल्पना में अपनी महती भूमिका निभाता है. संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन ने भी इस विचार गोष्ठी को संबोधित किया. संगठन वक्ता के रूप में आलोक पाठक ने भगवान सहस्त्रबाहु एवं संत नामदेव जी के व्यक्तित्व पर विचार व्यक्त किए.
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/ विलोक पाठक
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