जयपुर, 20 नवंबर . अगली पीढ़ी के फोटो जर्नलिस्टों को प्रेरित करने और शिक्षित करने के उद्देश्य से इमेजिन फोटो जर्नलिस्ट सोसाइटी ने राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (आरआईसी) में 10वें जयपुर फोटो जर्नलिज्म सेमिनार का आयोजन किया. एक दिवसीय इस सेमिनार में फोटो जर्नलिज्म, मीडिया और राजनीति, आदि विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भाग लिया और जयपुर के विभिन्न संस्थानों से आए मीडिया स्टूडेंट्स के साथ फोटो जर्नलिज्म साक्षरता पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए.
सेमिनार में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित पेशेवरों में वरिष्ठ मीडियाकर्मी रोहित परिहार, अंतर्राष्ट्रीय फोटो जर्नलिस्ट पुरुषोत्तम दिवाकर, बनस्थली विद्यापीठ की कुलपति प्रोफेसर ईना शास्त्री, लम्बी अहीर ग्राम की सरपंच नीरू यादव, आईओएम-यूएन माइग्रेशन के प्रमुख संजय अवस्थी, बनस्थली विश्वविद्यालय के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केंद्र के निदेशक अंशुमान शास्त्री, हिंदी कवि और अभिनेता रवि यादव, केयर्न ऑयल एंड गैस के महाप्रबंधक अयोध्या प्रसाद गौड़, वीणा म्यूजिक के निदेशक हेमजीत मालू, और एमिटी विश्वविद्यालय के डीन और पब्लिक रिलेशंस के निदेशक प्रोफेसर सचिन बत्रा शामिल थे.
सेमिनार की शुरुआत में मुख्य अतिथि रोहित परिहार ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा किया.परिहार ने कहा कि ‘‘फोटो जर्नलिज्म केवल पिक्चर को कैप्चर करने की क्रिया नहीं है. यह प्रभावशाली ढंग से कहानी प्रस्तुत करने और वास्तविकता के मध्य एक महत्वपूर्ण पुल के रूप में कार्य करती है. युवा मस्तिष्क के लिए, फोटो जर्नलिज्म आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देती है और सहानुभूति को विकसित करती है. यह हाशिए पर पड़ी आवाजों को मुखर करने, ऐतिहासिक क्षणों को संकलित करने और सार्थक बदलाव को प्रेरित करने का अवसर भी प्रदान करती है, जो और अधिक सूचित और सहानुभूतिपूर्ण समाज के निर्माण में आवश्यक योगदान को रेखांकित करती है.‘
कार्यक्रम के दौरान पुरुषोत्तम दिवाकर ने सेमिनार की थीम ‘लेंस पायलट ‘ पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों, जैसे भारतीय सीमा क्षेत्र में रोमांचक क्षणों को कैमरे में केप्चर करने के अद्वितीय उत्साह को रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि ऐसे वास्तविक अनुभव और क्षण एआई-जनित फोटोज के माध्यम से कभी भी पुनः निर्मित नहीं किए जा सकते.
प्रो. इना शास्त्री और हेमजीत मालू ने फोटो जर्नलिस्ट बनने से पहले एक अच्छे इंसान बनने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि फोटो जर्नलिस्ट की नैतिक और भावनात्मक जिम्मेदारी उनकी तकनीकी कौशलों के समान ही अत्यंत महत्वपूर्ण है.
सेमिनार में कैमरा कमांडोज द्वारा निर्मित ‘जीने का अंदाज‘ नामक एक डिजिटल मैग्जीन भी प्रदर्शित की गई जिसमें युवा फोटो पत्रकारों के कार्य और रचनात्मकता को शामिल किया गया था. कार्यक्रम का समापन लीला दिवाकर द्वारा आभार व्यक्त के साथ हुआ. सेमिनार ने छात्रों को फोटो जर्नलिज्म की विकसित होती दुनिया और आधुनिक मीडिया में इसके महत्व को समझने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान किया. यह एक समृद्ध अनुभव था, जिसने फोटो जर्नलिस्ट की भूमिका को और अधिक स्पष्ट किया, खासकर कहानी को आकार देने और समाज पर स्थायी प्रभाव डालने में.
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