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पत्नी मोह में फंसे मुख्यमंत्री को सिर्फ देहरा की ही फिक्र : विपिन परमार

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धर्मशाला, 12 नवंबर . पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं भाजपा नेता विपिन सिंह परमार ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पत्नी मोह में फंस कर प्रदेश की जनता को भूल गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला में बनाए गए सचिवालय में स्थित सीएम आफिस पर दो वर्षों से ताला लगा हुआ है, सचिवालय में धूल जम गई है, लेकिन मुख्यमंत्री अपनी पत्नी को विधायक बनाकर वहां सीएम आफिस खोल रहे हैं.

मंगलवार को धर्मशाला में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा नेता विपिन परमार ने सवाल उठाया कि क्या मुख्यमंत्री ऐसे कार्यालय सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में खोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति में कुछ परंपराएं होती हैं, कुछ एथिक्स होते हैं, लेकिन परिवार के लिए परिवार भक्ति में डूब जाना ऐसा कभी नहीं हुआ.

परमार ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, प्रो. धूमल, जयराम ठाकुर के कार्यकाल में सरकार शीतकालीन प्रवास पर धर्मशाला से चलती थी, लेकिन सीएम ने इस परम्परा को तोड़ कर निचले हिमाचल से भेदभाव किया है. परमार ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल में सैंकडों कार्यालय बंद कर दिए और देहरा में अनेक नए कार्यालय खोल दिए, एसपी आफिस खोल दिया, लेकिन वहां पर पूरे जिला में क्राइम सबसे कम है.

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने सता में आने के बाद हर चीज पर टेक्स लगा दिया है अब तो हवा ही मात्र बची है जिस पर टैक्स नहीं है. सरकार का समोसा पूरी दुनिया में पहुंच गया. ऐसा पहली वार हुआ जब खाने पर जांच बिठा दी.

परमार ने कहा कि प्रदेश में चिटा माफिया, हेरोइन, नशा तस्करी लगातार हो रही है. इसकी सरकार व पुलिस को खबर नहीं है. उसकी जांच बिठाई जानी चाहिए कि नशा कहां से आ रहा है, लेकिन इसकी चिंता सरकार को नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार गारंटिया पूरी करने की बात कर रही है, लेकिन बिजली बोर्ड वाले ओपीएस के लिए हड़ताल कर रहे हैं. बिजली बोर्ड के चालकों के पद समाप्त कर उन्हें घर भेज दिया गया.

सुलह के विधायक विपिन सिंह परमार ने अपने विस क्षेत्र के एक अधिकारी पर नियमों को ताक में रखकर काम करने की बात कही है. परमार ने कहा कि आरकेएस की बैठक विधायक की अध्यक्षता में होती है, लेकिन एक अधिकारी टालमटोल कर जनता द्वारा चुने प्रतिनिधि का अपमान कर रहे हैं. जिसे सहन नहीं किया जाएगा. मुख्यमंत्री को ऐसे मामले में संज्ञान लेना चाहिए. वह इस मामले को विधानसभा में भी उठाएंगे.

/ सतिंदर धलारिया

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