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अनुसूचित जाति के छात्रों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ – विजेंद्र गुप्ता

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नई दिल्ली, 16 नवंबर . विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि दिल्ली में अनुसूचित जाति के छात्रों को केन्द्र प्रायोजित योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. इस संदर्भ में उन्होंने शनिवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मांग की कि उनको उचित शिक्षा के साथ अन्य सुविधाएं मिलें इसके लिए दिल्ली सरकार को भी कार्य करना चाहिए .

विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि केन्द्र की योजनाओं के अंतर्गत एससी छात्रों प्री-मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशीप मिलती है. इसके तहत उन्हें 3500 से 13500 रुपये प्रतिवर्ष की वित्तीय सहायता मिलती है. इन योजनाओं को राज्य सरकार कार्यांन्वित करती हैं. लेकि पिछले सालों में इन योजनाओं का लाभ लेने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट देखी गई है जबकि एससी आबादी लगातार बढ़ रही है. इन योजनाओं का लाभ लेने में जागरूकता का अभाव, अपर्याप्त पहुंच, जटिल आवेदन प्रक्रिया या कठोर पात्रता मानदंड और दस्तावेज़ीकरण बाधा बनते हैं.

विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख कर मांग की है कि इन योजनाओं के लाभार्थियों की घटती संख्या पर उचित कदम उठाए जाएं तथा इन महत्वपूर्ण योजनाओं में अनुसूचित जाति के छात्रों की बेहतर भागीदारी सुनिश्चित की जाए.

विजेंद्र गुप्ता ने कहा ,आम आदमी पार्टी(आआपा) के नेतृत्व वाली सरकार समाज के गरीब और वंचित समूह के प्रति सहानुभूति रखने का दावा करती है, जबकि इतनी सारी योजनाओं के कार्यान्वयन से पता चलता है कि दिल्ली में गरीब लोग सबसे अधिक पीड़ित हैं और उन्हें केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं का उचित लाभ नहीं मिल रहा है.

उन्होंने कहा कि ये योजनाएं गरीबी के चक्र को तोड़ने और वंचित समुदायों के छात्रों को समान अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, इसलिए उनकी प्रभावशीलता और पहुंच सुनिश्चित करना हमारे राज्य में अनुसूचित जातियों के विकास और उत्थान के लिए अनिवार्य है.

गुप्ता ने बताया कि यह आश्चर्य की बात है कि दिल्ली में अनुसूचित जाति समुदायों की आबादी साल दर साल बढ़ रही है, हालांकि, इन दोनों योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या 2002-23 से 2023-2024 के दौरान लाभ प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में कमी चिंताजनक है . ये वंचित समुदायों के लिए अच्छी शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य को कमजोर करती है.

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/ माधवी त्रिपाठी

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