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बाल साहित्य को बच्चों की नई पीढ़ी के अनुसार पठनीय बनाना जरूरीः सूर्य प्रसाद दीक्षित

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– 21 भारतीय भाषाओं के बाल साहित्यकार हुए पुरस्कृत

लखनऊ, 14 नवंबर . साहित्य अकादमी द्वारा दिए जाने वाले बाल साहित्य पुरस्कार 2024 गुरुवार को भागीदारी भवन प्रेक्षागृह, गोमती नगर, में प्रदान किए गए. इस अवसर पर मुख्य अतिथि सूर्य प्रसाद दीक्षित ने बाल साहित्य के इतिहास और परंपरा की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि बाल साहित्य को बच्चों की नई पीढ़ी के अनुसार पठनीय बनाना होगा. इस अवसर पर उन्होंने लखनऊ की मुंशी नवल किशोर प्रेस की महत्त्वपूर्ण भूमिका और अमृतलाल नागर को भी याद किया. उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए जीवनी साहित्य उपयोगी होता है लेकिन उसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए बाल मनोविज्ञान का ज्ञान ज़रूरी है जिससे उसे बच्चों की भाषा में उसे लिखा जा सके.

साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि हमें बेहद खुशी है कि साहित्य अकादमी के 70 साल के इतिहास में पहली बार बाल साहित्य पुरस्कार लखनऊ में प्रदान किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाल साहित्य बच्चों के संतुलित विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बाल साहित्य बच्चों की कल्पनाशीलता को तो बढ़ाता ही है बल्कि समाज में उन्हें अच्छे व्यवहार के लिए भी प्रेरित करता है. उन्हाेंने बताया कि पुरस्कृत बाल साहित्यकारों को उत्कीर्ण ताम्रफलक व 50 हजार रुपए की सम्मान राशि प्रदान की गई.

साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि बच्चों के लिए लिखना बेहद श्रम का कार्य है. बाल लेखन के लिए बच्चों की दृष्टि से लिखना ही काफी नहीं बल्कि उनकी मुस्कान को बरकरार रखना भी जरूरी होता है. पहले सभी भाषाओं के महत्त्वपूर्ण साहित्यकारों ने बाल साहित्य का प्रचुर मात्रा में लेखन किया है लेकिन अब यह परंपरा खंडित सी हो गई है, लेकिन इसका जारी रहना जरूरी है. इस दौरान उन्होंने अपनी कविता की

दो पंक्तियां पढ़ी –

बंद घरों के हर कमरे में जैसे रोशनदान रहे,

वैसे ही हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान रहे..

बाल साहित्य पुरस्कार 2024 प्राप्त करने वाले लेखक

रंजु हाजरिका (असमिया), दीपान्विता राय (बाङ्ला), भार्जिन जेक’भा मोसाहारी (बोडो), बिशन सिंह ‘दर्दी’ (डोगरी), नंदिनी सेनगुप्ता (अंग्रेज़ी), गिरा पिनाकिन भट्ट (गुजराती), देवेनद्र कुमार (हिंदी), कृष्णमूर्ति बिळिगेरे (कन्नड), मुज़फ़्फ़र हुसैन दिलबर (कश्मीरी) हर्षा सद्गुरू शेटये (कोंकणी), नारायणजी (मैथिली), उन्नी अम्मायंबळम् (मलयाळम्), क्षेत्रिमयुम सुवदनी (मणिपुरी), भारत सासणे (मराठी), वसंत थापा (नेपाली), मानस रंजन सामल (ओड़िआ), कुलदीप सिंह दीप (पंजाबी), प्रहलाद सिंह ‘झोरड़ा’ (राजस्थानी), हर्षदेव माधव (संस्कृत), दुगाई टुडु (संताली), लाल होतचंदानी ‘लाचार’ (सिंधी), युमा वासुकि (तमिऴ), पामिदिमुक्कला चंद्रशेखर आज़ाद (तेलुगु) और शम्सुल इस्लाम फ़ारूक़ी (उर्दू).

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/ डॉ. जितेन्‍द्र पाण्डेय

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