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आरएसएस के कई अनुसंगिक संगठन के कर्ता-धर्ता, प्रचारक छोटे बाबू का निधन

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पटना, 06 अक्टूबर . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक और संघ द्वारा संचालित कई संस्थाओं के कर्ता-धर्ता प्रकाश नारायण सिंह (छोटे बाबू) का रविवार सुबह मुम्बई के लीलावती अस्पताल में निधन हो गया. उनका पार्थिव शरीर देर रात पटना लाया गया.

सतत अध्ययनशील छोटे बाबू कुछ समय से बीमार थे. कुछ वर्ष पूर्व हृदय रोग से पीड़ित हुए. उसके बाद दिनानुदिन कुछ ना कुछ बीमारियां घेरे रही. एक महीने पूर्व स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ा तो उन्हें मुम्बई ले जाया गया. वहां के प्रसिद्ध लीलावती अस्पताल में भर्ती हुए. चिकित्सकों ने बताया कि कैंसर के प्रारंभिक लक्षण दिख रहे हैं. उसकी चिकित्सा प्रारंभ हुई, दो कीमो चढ़ा तीसरा कीमो आठ अक्टूबर को चढ़ना था लेकिन विधि का विधान कुछ और निश्चित था. बीते तीन अक्टूबर की रात में अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और तत्काल लीलावती अस्पताल में पुनः भर्ती करना पड़ा. चिकित्सकों के लाख प्रयास के बाद भी बचाया नहीं जा सका.

अंततः मृदुभाषी, सौम्य और सदा सबको जीत के लिए प्रोत्साहित करने वाले छोटे बाबू अपने ही जीवन की लड़ाई 06 अक्टूबर की सुबह तीन बजे हार गए. 06 अक्टूबर को देर रात उनका पार्थिव शरीर पटना लाया गया. दाह संस्कार सात अक्टूबर को पटना के दीघा घाट में दोपहर बाद किया जाएगा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके विचार से चलने वाली कई संस्थाओं के मार्गदर्शक की भूमिका में भी छोटे बाबू का बड़ा योगदान था. अभी वर्तमान में पटना विभाग की विभाग संघ चालक का दायित्व निर्वहन कर रहे थे. विश्व संवाद केंद्र पटना की स्थापना 1999 में हुई. इन 25 वर्षों के सफल यात्रा में छोटे बाबू ने विश्व संवाद केंद्र को एक ऊंचाई प्रदान की. इसकी स्थापना से लेकर अभी इस न्यास के अध्यक्ष थे. विश्व संवाद केंद्र से प्रशिक्षित कई पत्रकार आज पत्रकारिता जगत में शीर्ष स्थानों पर हैं. इसके अलावा पटना के केशव सरस्वती विद्या मंदिर समिति के भी वे अध्यक्ष थे.

एक गीत की पंक्ति है – जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना. शायद गीतकार ने छोटे बाबू जैसे लोगों को ध्यान में रखकर ही इस गीत की पंक्ति लिखी होगी. प्रकाश नारायण सिंह उपाध्याय छोटे बाबू के पितामह राय बहादुर ऐदल सिंह एक संपन्न व्यक्ति थे. उन्होंने ही नालंदा कॉलेज की स्थापना के लिए जमीन दान दी थी. छोटे बाबू के पिताजी कृष्ण वल्लभ नारायण सिंह उपाख्य बबुआ जी ने भी पिताजी की परंपरा को आगे बढ़ाया. गया में गांधी जी की गाय को खरीद कर उन्होंने सबको चौंका दिया था. बाबा जी पहले हिंदू महासभा से जुड़े थे. बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार के संपर्क में आए. डॉक्टर साहब ने ही उन्हें संघचालक का दायित्व दिया था.

छोटे बाबू का जन्म 20 अगस्त 1942 को पीएमसीएच में डॉक्टर जॉन के देखरेख में हुआ था. प्रारंभिक शिक्षा गया के नजारथ एकेडमी में हुई. नैनीताल के बिरला विद्या मंदिर से अपने मैट्रिकुलेशन की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद की शिक्षा दीक्षा इलाहाबाद से हुई. क्वींस कॉलेज से स्नातक करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर किया. उनका विवाह सात मार्च, 1968 को तत्कालीन दरभंगा जिले की प्रतिष्ठित परिवार में पूर्णिमा सिंह से हुआ. पूर्णिमा सिंह केंद्रीय मंत्री श्यामनंदन मिश्र की इकलौती संतान थी. छोटे बाबू को तीन संतान हुई – दो पुत्र और एक पुत्री. बड़े पुत्र का नाम ज्ञान प्रकाश नारायण सिंह और छोटे पुत्र का नाम ज्योति प्रकाश नारायण सिंह है. पुत्री का नाम स्मिता विजय है. ज्योति प्रकाश गल्फ़ा लैबोरेट्रीज के संस्थापक नवल किशोर सिंह के दामाद हैं.

/ गोविंद चौधरी

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