धौलपुर, 7 नवंबर . यह भारत भूमि वीर प्रसूता है. यहां हर युग, हर काल में ऐसे-ऐसे वीर-वीरांगनाओं ने जन्म लिया, जिनके व्यक्तित्व एवं कर्तव्य के आगे सारा संसार सिर झुकाता है. धर्म की इस महान एवं सनातन भूमि पर प्रेरणा के ऐसे प्रकाश-पुंजों की कमी नहीं रही. ऐसी ही एक तेजस्विनी व महिमामयी नारी थीं महारानी अहिल्याबाई होल्कर, जिन्होंने समाज मे पंच परिवर्तन यथा परिवार जागरूकता, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी जीवन शैली, सामाजिक समरसता और नागरिक कर्तव्य के माध्यम से कार्य किया. यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भरतपुर विभाग प्रचारक उत्कर्ष का. उत्कर्ष बुधवार को स्थानीय प्रधान कॉम्प्लेक्स में लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित प्रबुद्धजन संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप मे बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि लोकमाता होल्कर ने भारतीय संस्कृति के कीर्ति-ध्वजा को तो दशों-दिशाओं में फहराया ही, हिंदू परंपराओं एवं मान्यताओं के अनुकूल आदर्श शासन एवं राज-व्यवस्था की भी स्थापना की. उन्होंने समाज मे पंच परिवर्तन यथा परिवार जागरूकता, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी जीवन शैली, सामाजिक समरसता और नागरिक कर्तव्य के माध्यम से कार्य किया. उनका जीवन और शासन लोक-कल्याण को समर्पित था. समाज एवं राष्ट्र के लिए जब आवश्यकता पड़ी उन्होंने खड्ग भी धारण किया तो धर्म का कीर्ति-ध्वज फहराए रखने के लिए अनेकानेक अभिनव, असाधारण एवं ऐतिहासिक पहल व प्रयत्न किए. कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों महंत हनुमान दास महाराज, उत्कर्ष, डॉ. विजय सिंह और रतीराम बघेला ने अहिल्या बाई होल्कर के चित्र पर माल्यार्पण व पूजा-अर्चना कर किया. कार्यक्रम का संचालन बाचाराम बघेल ने किया. इस मौके पर जिले भर के प्रबुद्धजन उपस्थित रहे.
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/ प्रदीप
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