-कोर्ट ने दोबारा गलती न करने व बिना शर्त माफी मांगने पर अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई समाप्त की
-जिला जज से अधिवक्ता के आचरण को लेकर दो वर्ष बाद मांगी रिपोर्ट
प्रयागराज, 24 सितम्बर . इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि वकीलों द्वारा न्यायाधीशों के प्रति अशिष्ट व्यवहार की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हाईकोर्ट ने क्षमा मांगने पर अधिवक्ता के खिलाफ अवमानना कार्रवाई समाप्त तो कर दी, परन्तु जिला जज कानपुर नगर को दो वर्ष बाद याची के आचरण को लेकर हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है.
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी की खंडपीठ ने कहा कि वकीलों से अपेक्षा की जाती है कि वे न्यायाधीशों के खिलाफ असंयमित भाषा का प्रयोग करने से बचें.
न्यायालय ने आदेश में कहा कि, “अधिवक्ताओं द्वारा पीठासीन न्यायाधीश के प्रति अभद्र व्यवहार किए जाने की घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं. न्यायाधीश केवल सौहार्दपूर्ण वातावरण में ही काम कर सकते हैं. न्यायालय के अधिकारी होने के नाते अधिवक्ता से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह न्यायाधीश के प्रति अभद्र व्यवहार करें या पीठासीन अधिकारी के विरुद्ध असंयमित भाषा का प्रयोग करें.“
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक सिविल जज कानपुर नगर द्वारा योगेन्द्र त्रिवेदी नामक वकील के खिलाफ 4 फरवरी 2023 को भेजे गए संदर्भ पर सुनवाई करते हुए की. अधिवक्ता त्रिवेदी ने पिछले साल हुई एक अदालती कार्यवाही के दौरान कथित तौर पर कोर्ट स्टाफ से एक फाइल छीन ली थी और ट्रायल जज के खिलाफ टिप्पणी की थी. त्रिवेदी पर जज के खिलाफ अनचाही टिप्पणी करने का भी आरोप है.
बाद में उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी, जब हाईकोर्ट ने सिविल जज के संदर्भ के आधार पर शुरू की गई अदालती अवमानना की कार्यवाही में उन्हें नोटिस जारी किया.
हालांकि उनकी माफी से न तो हाईकोर्ट और न ही सिविल जज संतुष्ट थे. इसके बाद मामले को स्थगित कर दिया गया. ताकि वकील बेहतर हलफनामा दाखिल कर सकें. इसके बाद त्रिवेदी ने दोबारा फिर बिना शर्त माफी मांगी.
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता कोर्ट में हाजिर हुए और उन्होंने कहा कि वह कभी भी इस तरह की अवज्ञाकारी हरकत नहीं दोहराएंगे. हाईकोर्ट ने अनुरोध स्वीकार कर लिया लेकिन साथ ही वकील को भविष्य के लिए चेतावनी भी जारी की.
हाईकोर्ट ने कहा “हम इस मामले में अधिक गम्भीर दृष्टिकोण अपनाने के इच्छुक थे लेकिन इस तथ्य पर विचार करते हुए कि अवमाननाकर्ता एक युवा अधिवक्ता है और उसके द्वारा इस तरह के आचरण का कोई पूर्व आरोप नहीं लगाया गया है, हम उसे सख्त चेतावनी जारी करके वर्तमान कार्यवाही को समाप्त करते हैं. हालांकि, हम यह स्पष्ट करते हैं कि यदि अवमाननाकर्ता की ओर से ऐसा कोई अवांछनीय कृत्य हमारे संज्ञान में लाया जाता है तो यह न्यायालय तत्काल अवमानना की कार्यवाही को फिर से शुरू करेगा और मामले में गम्भीरता से विचार करेगा,“.
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/ रामानंद पांडे