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कैप्टिव और वाणिज्यिक खदानों से कोयला उत्पादन 100 मीट्रिक टन के पार

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नई दिल्ली, 09 नवंबर . देश के कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानों से कोयले का उत्‍पादन 8 नवंबर, 2024 तक 100.08 मीट्रिक टन (एमटी) पर पहुंच गया. सालाना आधार पर कोयला के उत्‍पादन में ये 33 फीसदी की वृद्धि है. मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक देश के कुल कोयला उत्पादन में कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला उत्पादन की हिस्सेदारी बढ़ी है.

कोयला मंत्रालय ने शनिवार को जारी एक बयान में बताया कि कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानों से देश का कोयला उत्पादन 100 मीट्रिक टन (एमटी) से अधिक रहा है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण की दिशा में राष्ट्र की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. यह उपलब्धि बीते वित्‍त वर्ष 2023-24 की तुलना में लगभग 100 दिन पहले हासिल किया गया है, जिसे जनवरी 2024 में हासिल किया गया था.

मंत्रालय के मुताबिक 1 अप्रैल से लेकर 8 नवंबर, 2024 की अवधि के दौरान कैप्टिव और कमर्शियल कोयला खदानों से उत्पादन 100.08 मीट्रिक टन है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में इसी अवधि के दौरान कुल कोयला उत्पादन 75.05 मीट्रिक टन रहा था, जो साल-दर-साल 33 फीसदी की वृद्धि है. इसी तरह 1 अप्रैल, से 8 नवंबर, 2024 की अवधि के दौरान कैप्टिव और कमर्शियल कोयला खदानों से कुल प्रेषण 107.81 मीट्रिक टन है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में इसी अवधि के दौरान कुल प्रेषण 80.23 मीट्रिक टन रहा था.

कोयला मंत्रालय के मुताबिक उल्लेखनीय रूप से भारत के कुल कोयला उत्पादन में कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है, जो कोयला क्षेत्र में सुधारों की सफलता को दर्शाता है. यह ऊर्जा संसाधनों में आत्मनिर्भरता की दिशा में राष्ट्र के मार्ग को मजबूत करता है. इसको देखते हुए कोयला मंत्रालय चालू वित्‍त वर्ष 2024-25 में कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला ब्लॉकों से 170 मीट्रिक टन से अधिक उत्पादन लक्ष्य तक पहुंचने के प्रति आशावादी है.

उल्‍लेखनीय है कि कोयला मंत्रालय की यह उपलब्धि कोयला के क्षेत्र में भारत की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाती है. ऊर्जा स्वतंत्रता और आर्थिक विकास की दिशा में देश की प्रगति में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करती है, जो केंद्र सरकार के विकसित भारत 2047 लक्ष्यों के साथ पूरी तरह से संरेखित है. कोयला मंत्रालय पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार खनन प्रथाओं को सुनिश्चित करते हुए इस वृद्धि को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखता है.

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/ प्रजेश शंकर

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