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चिंता की निवृत्ति का माध्यम है श्रीमद् भागवत: गौरीशंकर दास

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हरिद्वार, 07 नवंबर . श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा चिंतन से चिंता की निवृत्ति का माध्यम है जिसके श्रवण मात्र से व्यक्ति में उत्तम चरित्र का निर्माण होता है. वह स्वयं को सबल बनाकर अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है.

भूपतवाला स्थित साधुबेला आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी है कि जब हम इसमें निहित ज्ञान को अपने जीवन में उतारकर उसे अपने व्यवहार में शामिल करें. जन्म जन्मांतर के पुण्य उदय होने पर ही श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण का सौभाग्य व्यक्ति को प्राप्त होता है.

कथा व्यास महंत श्रवण मुनि महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत देवताओं को भी दुर्लभ है. सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही इसके दर्शन प्राप्त होते हैं. भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं देखने के लिए भगवान शिव को भी गोपियों का रूप धारण करना पड़ा था.

इस अवसर पर गोपाल अवस्थी, दीपा अवस्थी, राम शुक्ला, रवि दुबे, चित्रा दुबे, सुनीता तिवारी, राकेश तिवारी, निखिल चंदानी, बबीता चंदानी, गोपाल पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, इंदु पंडया, मयंक पंडया, आशुतोष शुक्ला, मयूरी शुक्ला, सुमेद दुबे, रश्मि दुबे, जेपी जुयाल विकास शर्मा, सोनू शर्मा, सुनील मिश्रा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे.

/ डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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