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सेबी ने एसएमई सेगमेंट के लिए 6 नए नियम लाने का रखा प्रस्ताव, आम लोग 4 दिसंबर तक दे सकते हैं सुझाव

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– एसएमई आईपीओ में मिनिमम एप्लीकेशन लिमिट 2 लाख करने का प्रस्ताव

नई दिल्ली, 20 नवंबर . एसएमई सेगमेंट में लॉन्च वाले आईपीओ को और अधिक पारदर्शी बनाने और इनके जोखिम से छोटे निवेशकों को बचाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया (सेबी) ने 6 नए नियम लागू करने का प्रस्ताव तैयार किया है. इन प्रस्तावों पर आम लोगों से 4 दिसंबर तक राय मांगी गई है. लोगों की राय मिलने और स्टेकहोल्डर्स से बातचीत करने के बाद सेबी इन पर आखिरी फैसला लेगा.

इन प्रस्तावों में सेबी ने सबसे पहले एसएमई सेगमेंट के आईपीओ में निवेशकों द्वारा लगाई जाने वाली बोली के लिए न्यूनतम आवेदन राशि को मौजूदा 1 लाख रुपये से बढ़ा कर 2 लाख रुपये करने का प्रस्ताव रखा है. ऐसा करने से इन आईपीओ में पैसा लगाने वाले छोटे निवेशकों की संख्या कम हो जाएगी. इसके साथ ही इन आईपीओ में वही निवेशक पैसा लगाएंगे, जिनकी जोखिम उठाने की क्षमता अधिक होगी.

ये प्रस्ताव इसलिए भी दिया गया है, क्योंकि पिछले कुछ सालों के दौरान एसएमई सेगमेंट के आईपीओ में बोली लगाने वाले छोटे निवेशकों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है. एसएमई सेगमेंट में जोखिम अधिक होने की वजह से छोटे निवेशकों को यहां अधिक नुकसान होने का डर बना रहता है. यही कारण है कि सेबी न्यूनतम निवेश की राशि को बढ़ा कर छोटे निवेशकों की संख्या को इस सेगमेंट में सीमित करना चाहता है.

सेबी के प्रस्ताव में बताया गया है कि 2021-22 में एसएमई सेगमेंट के आईपीओ को औसतन 4 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था, लेकिन अब कई कंपनियों को 245 गुना तक सब्सक्रिप्शन भी मिलने लगा है. एसएमई सेगमेंट की कंपनियों को अधिक रिस्की इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि इनके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं होती है. ऐसे में मार्केट सेंटीमेंट में बदलाव होने की स्थिति में छोटे निवेशकों का पैसा डूबने का खतरा भी बना रहता है.

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने अपने प्रस्तावों में एसएमई सेगमेंट के आईपीओ के साइज को भी न्यूनतम 10 करोड़ करने की बात कही है. इसके साथ ही आईपीओ लाने के लिए इच्छुक कंपनियों के लिए पिछले तीन में से कम से कम दो वित्त वर्ष के दौरान न्यूनतम 3 करोड़ रुपये का संचालन लाभ (ऑपरेटिंग प्रॉफिट) हासिल करने की बाध्यता को भी एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में शामिल करने की बात कही गई है. अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो एसएमई सेगमेंट में मजबूत वित्तीय स्थिति वाली कंपनियां ही अपना आईपीओ लॉन्च कर सकेंगी, जिससे निवेशकों के लिए जोखिम तुलनात्मक तौर पर कम हो सकेगा.

मार्केट रेगुलेटर ने एसएमई सेगमेंट के आईपीओ में नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एनआईआई) के लिए प्रोपोर्शनेट अलॉटमेंट की जगह लॉटरी सिस्टम लागू करने का भी प्रस्ताव दिया है. मेनबोर्ड आईपीओ में ये सिस्टम पहले से ही लागू है. कहा जा रहा है कि इससे शेयर के अलॉटमेंट में निष्पक्षता आएगी. इसी तरह सेबी ने एसएमई सेगमेंट के आईपीओ में ऑफर फॉर सेल का साइज आईपीओ के कुल साइज के 20 प्रतिशत तक सीमित करने का प्रस्ताव दिया है. अभी इस सेगमेंट में ऑफर फॉर सेल के लिए कोई लिमिट तय नहीं है.

सेबी ने अपने प्रस्तावों में प्रमोटर्स के लिए लॉक इन पीरियड को मौजूदा 3 साल से बढ़कर 5 साल करने का प्रस्ताव भी रखा है. ऐसा होने से प्रमोटर्स आईपीओ लॉन्च होने के बाद अगले 5 साल तक अपनी हिस्सेदारी बेच नहीं सकेंगे. सेबी का मानना है कि ऐसा होने से कंपनी की लॉन्ग टर्म स्टेबिलिटी सुनिश्चित की जा सकेगी.

अपने प्रस्तावों में सेबी ने 20 करोड़ रुपये से अधिक इश्यू साइज वाले एसएमई सेगमेंट के आईपीओ के लिए एक मॉनिटरिंग एजेंसी को अनिवार्य रूप से नियुक्त करने की बात कही है. मॉनिटरिंग एजेंसी की नियुक्ति से इस बात को सुनिश्चित किया जा सकेगा कि आईपीओ द्वारा जुटाई जा रही राशि का इस्तेमाल कंपनी उन उद्देश्यों में ही करेगी, जिसका ऐलान उसने आईपीओ लाते वक्त अपने ऑफर डॉक्यूमेंट में किया था.

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/ योगिता पाठक

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