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कोचिंग संस्थानों के झूठे दावों पर लगाम के लिए दिशा-निर्देश लाई सरकार

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नई दिल्ली, 13 नवंबर . छात्रों के अधिकारों की रक्षा और कोचिंग क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भ्रामक विज्ञापनों के मुद्दे के समाधान के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इनके अनुसार कोचिंग सेंटरों का विज्ञापन करने वाले भी झूठे दावों के लिए जिम्मेदार होंगे. छात्रों की लिखित सहमति के बिना विज्ञापनों में उनके नाम, फोटो या प्रशंसापत्र का उपयोग करना अवैध होगा और सहमति भी छात्र की सफलता के बाद ही उससे लेनी होगी.

सीसीपीए की मुख्य आयुक्त और उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने आज कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश, 2024 के बारे में जानकारी दी. उनके अनुसार दिशा-निर्देश झूठे अथवा भ्रामक दावों, सफलता दर और अनुचित अनुबंधों के बारे में बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर तैयार किए गए हैं.

दिशा-निर्देश कोचिंग संस्थानों को पाठ्यक्रम, उनकी अवधि, संकाय योग्यता, शुल्क और धन वापसी नीतियाँ, चयन दर, सफलता की कहानियाँ, परीक्षा रैंकिंग और नौकरी की सुरक्षा के वादे, सुनिश्चित प्रवेश, उच्च परीक्षा स्कोर, गारंटीकृत चयन या पदोन्नति से संबंधित झूठे दावे करने से स्पष्ट रूप से रोकते हैं. कोचिंग संस्थानों को अपने बुनियादी ढांचे, संसाधनों और सुविधाओं का भी सटीक ब्यौरा देना होगा.

दिशा-निर्देश कोचिंग में लगे हर व्यक्ति पर लागू होंगे. कोचिंग संस्थानों का समर्थन करने वाले एंडोर्सर को अपने द्वारा प्रचारित किए जा रहे दावों को सत्यापित करना होगा. अगर वे झूठी सफलता दर या भ्रामक गारंटी का समर्थन करते हैं, तो उन्हें कोचिंग सेंटर के साथ-साथ जवाबदेह ठहराया जाएगा. कोचिंग सेंटरों को विज्ञापन में छात्र की तस्वीर के साथ नाम, रैंक और पाठ्यक्रम विवरण जैसी महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा करना होगा. यह भी बताना होगा कि क्या छात्र ने पाठ्यक्रम के लिए भुगतान किया था. महत्वपूर्ण जानकारी समान फ़ॉन्ट व आकार के साथ प्रमुखता से दर्शानी होगी.

दिशा-निर्देश कहते हैं कि कोचिंग सेंटर तत्काल निर्णय के दबाव डालने के लिए सीमित सीटों या मांग जैसी तात्कालिकता या कमी की झूठी भावना पैदा नहीं करेंगे. प्रत्येक कोचिंग सेंटर को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के साथ भागीदारी करने की आवश्यकता होगी, जिससे छात्रों के लिए भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं के बारे में चिंता या शिकायत दर्ज करना आसान हो जाएगा.

कोचिंग संस्थानों को अब चयन के बाद की सहमति के बिना सफल उम्मीदवारों की तस्वीरों, नामों या प्रशंसापत्रों का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी. इस प्रावधान का उद्देश्य कोचिंग सेंटरों में दाखिला लेने के दौरान कई छात्रों के सामने आने वाले दबाव को खत्म करना है. इन दिशा-निर्देशों का कोई भी उल्लंघन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन माना जाएगा. केंद्रीय प्राधिकरण के पास दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की शक्ति है, जिसमें दंड लगाना, जवाबदेही सुनिश्चित करना और इस तरह की भ्रामक प्रथाओं की आगे की घटनाओं को रोकना शामिल है.

खरे ने इस बात पर जोर दिया कि सीसीपीए उपभोक्ताओं और जनता के हित में दिशा-निर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उद्योग हितधारकों, उपभोक्ता संगठनों और नियामक निकायों के साथ मिलकर काम करना चाहता है. कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार शासित होंगे और दिशा-निर्देश हितधारकों के लिए स्पष्टता लाएंगे और उपभोक्ता हितों की रक्षा करेंगे.

उल्लेखनीय है कि दिशा-निर्देशों पर एक समिति का गठन किया गया था. समिति के सदस्यों के बीच आम सहमति थी कि सीसीपीए को कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश लाने चाहिए. पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद समिति ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए. समिति के सुझाव के आधार पर सीसीपीए ने 16 फरवरी को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए मसौदा दिशा-निर्देश रखे थे.

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/ अनूप शर्मा

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