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प्राकृत भाषा सब भाषाओं की जननी: डॉ. ज्योतिबाबू

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उदयपुर – भक्तामर और जिन वाणी के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से भक्तामर वाचन प्रतियोगिता विज्ञान समिति में संपन्न हुई. यह प्रतियोगिता भक्तामर के 48 श्लोकों पर आधारित थी और पिछले 30 वर्षों से भगवान महावीर योग एवं रेकी संस्थान द्वारा आयोजित की जा रही है.

संस्थान के चेयरमेन, रेकी ग्रांड मास्टर महावीर प्रसाद जैन ने बताया कि इस आयोजन में विशिष्ट अतिथि आरएमवी की कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. पुष्पा कोठारी, समाजसेवी देवेंद्र छाप्या, आईआईटी खड़गपुर के विद्यार्थी सिद्धार्थ गांधी, और निर्णायक जज डॉ. ज्योति बाबू जैन ने भाग लिया.

डॉ. ज्योति बाबू जैन ने अपने उद्बोधन में कहा, “प्राकृत भाषा सब भाषाओं की जननी है. भक्तामर में 48 श्लोक हैं और हर एक का अपना विशेष महत्व है.”

संस्थान अध्यक्ष बेला जैन ने बताया कि प्रतियोगिता में 130 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया. कार्यक्रम में सम्पत बापना, भावना बाबेल, संजय बोबरा, नयना दोषी, नलीना लोढ़ा, और आशा मेहता ने अतिथियों का परिचय कराया.

महासचिव स्वाति गांधी ने बताया कि सही उत्तर देने वाले 48 प्रतिभागियों को चांदी का सिक्का पुरस्कार स्वरूप दिया गया, जबकि गलत उत्तर देने वालों को सांत्वना पुरस्कार दिया गया. आयोजन में शिवानी, कृष्णा थिरानी, प्रियल गांधी, आर्यन जैन, शनाया जैन, हितेंद्र कोठारी, रमेश भटनागर, सुनीता खंडेलवाल, और कुंथु कुमार जी जैन का विशेष सहयोग रहा.

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