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अपने कार्य को लेकर लगातार चिंतन करते रहना ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'कर्मयोगी' और 'चिंतन शिविर' की संकल्पना का मर्म है : मुख्यमंत्री

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-सीएमओ के उच्च अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आईआईएम अहमदाबाद में आयोजित हुआ चिंतन शिविर

-एक दिवसीय चिंतन शिविर में टाइम एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इमोशनल इंटेलिजेंस, डिजिटलाइजेशन, टीम बिल्डिंग और कम्युनिकेशन जैसे विषयों पर विभिन्न सत्र आयोजित हुए

अहमदाबाद, 28 सितंबर . मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए शनिवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (आईआईएमए) में आयोजित एक दिवसीय चिंतन शिविर का उद्घाटन करते हुए भूपेंद्र पटेल ने कहा कि हम सभी को अपने अंदर चिंतन करने की आदत विकसित करनी चाहिए. हम जो भी कार्य करें, उस पर समय-समय पर चिंतन करना आवश्यक है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमें ‘कर्मयोगी’ और ‘चिंतन शिविर’ की संकल्पना दी है, उसका मर्म ही यह है कि जो कुछ भी हम करें, उस विषय में चिंतन या विचार करें. उन्होंने कहा कि चिंतन करने से किसी भी काम को और भी बेहतर तरीके से करने की आदत विकसित होती है. जब कोई चिंतन नहीं होता, तभी समस्याएं खड़ी होती हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपने कार्य और कार्य करने की हमारी पद्धति को लेकर चिंतन करना चाहिए. किसी अन्य व्यक्ति के साथ तुलना किए बिना अपनी भूमिका को अच्छे से निभाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सीखने, पढ़ने और ज्ञान प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती. ऐसे चिंतन शिविर के पीछे का मर्म भी यही है.

मुख्यमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि सेवा और भाव का सकारात्मक समन्वय जरूरी है. मुख्यमंत्री कार्यालय में काम करने वाले लोगों के आचरण-व्यवहार पर पूरे राज्य के लोगों की नजर रहती है, इसलिए हमारी विशेष जिम्मेदारी है. आपका आचरण ही सीएम कार्यालय का प्रतिबिंब है.

पटेल ने कहा कि बदलते समय में लोगों की अपेक्षाएं बढ़ रही हैं. इसे ध्यान में रखते हुए हम सभी को और अधिक तैयार रहना होगा. उन्होंने कहा कि हम सभी को जनसेवा करने का अवसर मिला है, तब यह आवश्यक है कि हम एक अच्छे ट्रस्टी के रूप में सेवा भाव से अपनी भूमिका निभाएं.

चिंतन शिविर में स्वागत भाषण देते हुए मुख्यमंत्री की सचिव अवंतिका सिंह ने कहा कि चिंतन शिविर में लर्निंग और शेयरिंग के अलावा टीम बॉन्डिंग भी बढ़ती है. मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका निर्णायक होती है, तब ऐसे शिविरों के माध्यम से सभी अधिकारियों और कर्मचारियों में प्रो-एक्टिव और प्रो-पीपल दृष्टिकोण विकसित करने का काम भी हो सकता है. मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार और स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप संस्थान के उपाध्यक्ष हसमुख अढिया ने ‘टाइम एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट’ विषय पर एक सत्र का संचालन किया.

अढिया ने स्ट्रेस मैनेजमेंट यानी तनाव प्रबंधन के लिए कुछ टिप्स देते हुए पारिवारिक संबंधों, पर्याप्त नींद, ध्यान और कर्म के सिद्धांत समझने पर जोर दिया. उन्होंने पीओआरटी (पजेशन, ऑब्लिगेशन, रिलेशन और ट्रांजेक्शन) थ्योरी पर भी प्रकाश डाला.

चिंतन शिविर के अंत में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिवों पंकज जोशी तथा एम.के. दास ने अपने अनुभव और विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह एक दिवसीय चिंतन शिविर मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों और कर्मयोगियों के लिए उनके कामकाज और कार्यदक्षता में उपयुक्त बनेगा.

चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री कार्यालय के उच्च अधिकारियों और कर्मचारियों ने उत्साह के साथ भाग लिया. चिंतन शिविर का आयोजन आईआईएम अहमदाबाद और स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप (एसओयूएल) संस्थान के सहयोग से किया गया था.

इस अवसर पर आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक डॉ. भरत भास्कर भी उपस्थित थे. शिविर का संचालन एसओयूएल संस्थान की सुश्री प्रेरणा द्वारा किया गया. इस चिंतन शिविर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इमोशनल इंटेलिजेंस, डिजिटलाइजेशन, टीम बिल्डिंग और कम्युनिकेशन जैसे विषयों पर विभिन्न सत्र आयोजित किए गए थे.

/ बिनोद पाण्डेय

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