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भारत तेजी से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर – राज्यपाल

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फिरोजाबाद, 18 नवम्बर . महर्षि दयानंद की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में सिरसागंज में आयोजित तीन दिवसीय आर्य महाकुंभ में सोमवार को पहुंचे केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भारत की महान संस्कृति का जमकर बखान किया. उन्होंने आयोजन को संस्कृति संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर बताया.

राज्यपाल ने कहा कि धर्म-अध्यात्म के प्रति आस्था, कुरीतियों पर प्रहार, पाखंड के खिलाफ प्रतिरोध, राष्ट्रीय चेतना, युवा शक्ति प्रोत्साहन और नारी सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कार्य करने के लिए आर्य महाकुंभ ने अविस्मरणीय योगदान दिया है. भारतीय संस्कृति विश्व में सबसे महान होने के बाद भी सदियों तक समाज की दुर्दशा क्यों रही. इसी बात पर राज्यपाल ने कहा कि भारत की दुर्दशा का कारण जानने के लिए स्वामी दयानंद को पढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक समय में कुरीतियों और पाखंड का जाल इस हद तक बढ़ गया था कि हमने अपना मूल ज्ञान भुला दिया, जिसका नतीजा पराजय और गुलामी के रूप में लंबे समय तक भुगतना पड़ा. उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद जैसे लोग सदियों बाद धरती पर आते हैं. आर्य समाज की स्थापना से उन्होंने मानवता पर बड़ा उपकार किया. राज्यपाल ने कहा कि महान लोगों के बताए मार्ग पर चलकर भारतवर्ष तेजी से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है. उन्होंने आह्वान किया कि पाखंड और कुरीतियां समाज को विकृत करती हैं जितनी जल्दी हो सके इन्हें त्याग देना चाहिए.

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि कभी बीहड़ के रूप में पहचान रखने वाले, अपहरण उद्योग के नाम से इस क्षेत्र की पहचान थी लेकिन आज प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यहां अमन चैन के साथ ही विकास की धारा बही है. भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है.

इसके अलावा मंडलायुक्त रितु महाहेश्वरी, डीएम रमेश रंजन, एसएसपी सौरभ दीक्षित, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सत्यपाल सिंह, पूर्व सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री, कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय नागपुर के कुलपति प्रोफेसर हरिराम त्रिपाठी, सर्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के मंत्री विठ्ठल राव आर्य एवं आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश के प्रधान देवेंद्र पाल वर्मा आदि विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम का संचालन कवि डा. मुकेश मणिकांचन ने किया.

/ कौशल राठौड़

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