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देश में अब जनजातीय गौरव के प्रति नई चेतना का संचार हो रहा है : राष्ट्रपति

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नई दिल्ली, 14 नवंबर . राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती की पूर्व संध्या पर देशवासियों को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ की बधाई दी और कहा कि हम सब, ‘धरती आबा’ भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के साल भर चलने वाले उत्सव का शुभारंभ कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में जनजातीय गौरव तथा संविधान के आदर्शों के प्रति देश में नई चेतना का संचार हो रहा है.

राष्ट्रपति ने एक वीडियो संदेश में कहा कि उन्होंने जनजातीय समाज के दुख-दर्द को केवल देखा ही नहीं है बल्कि स्वयं महसूस भी किया है. उन्होंने कहा कि अब जनजातीय लोगों के जीवन को बेहतर होता देखकर उन्हें खुशी होती है. राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय युवाओं के लिए आज विकास का खुला आसमान उपलब्ध है. वे जितनी भी ऊंची उड़ान भरना चाहें, समाज और सरकार उनके साथ हैं.

उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के लगभग 100 लोगों को बीते 10 वर्षों के दौरान पद्म विभूषण, पद्म भूषण तथा पद्म श्री पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा कि अनेक राज्यों के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री, केंद्र एवं राज्य सरकारों के मंत्रीगण तथा उच्च पदों पर आसीन अनेक व्यक्ति जनजातीय समाज से आते हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि 2021 से भारत सरकार ने प्रतिवर्ष 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाने की परंपरा का सूत्रपात किया है. जनजातीय समुदाय के प्रति सम्मान व्यक्त करने के इस निर्णय की जितनी भी सराहना की जाए वह कम है. जनजातीय महानायकों की स्मृति में देश के विभिन्न क्षेत्रों में संग्रहालय बनाए जा रहे हैं. रांची में भगवान बिरसा मुंडा का संग्रहालय एक तीर्थ स्थल की तरह सम्मानित हो गया है. राष्ट्रपति भवन में भी ‘जनजातीय दर्पण’ नामक संग्रहालय विकसित किया गया है.

उन्होंने कहा कि जनजातीय भाषा ‘संथाली’ को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के प्रयासों में मेरा भी योगदान था. श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में यह संभव हुआ था. राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान सरकार ने जनजातीय विकास और कल्याण की यात्रा को तेज गति से बहुत आगे बढ़ाया है. बहुत बड़े पैमाने पर अनेक अभियान और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य के तहत जनजातीय समाज से सिक्ल सेन एनीमिया बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य भी रखा गया है. वर्ष 2024-25 के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय का बजट 13 हजार करोड़ रुपये का है. यह पिछले वर्ष की तुलना में 74 प्रतिशत अधिक है. उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता जनजातीय समाज की सदियों पुरानी पहचान को कायम रखना और आधुनिक विकास करना है.

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/ सुशील कुमार

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