तीन दशक पहले, मानव शरीर में होने वाली गंभीर बीमारियों का इलाज पेड़-पौधों के पत्तों, जड़ों, और छालों से किया जाता था. इन प्राकृतिक उपचारों का इस्तेमाल न केवल बेहतर स्वास्थ्य के लिए किया जाता था, बल्कि यह आर्थिक संकट से बचने का एक तरीका भी था. आज, आधुनिक चिकित्सा के बावजूद, जटिल बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद की तरफ फिर से रुख किया जा रहा है.
मधुमेह, जिसे आमतौर पर ब्लड शुगर की समस्या कहा जाता है, आजकल बेहद आम हो गया है. हालांकि इसके इलाज के लिए कई दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन आयुर्वेद में कुछ प्राकृतिक उपाय भी हैं जो इस समस्या को नियंत्रण में रखने में बेहद प्रभावी हो सकते हैं.
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया की आयुर्वेदाचार्य, डॉ. प्रियंका सिंह ने बताया कि नीम, जो कि लगभग हर भारतीय घर के आसपास पाया जाता है, मधुमेह को नियंत्रित करने में अद्भुत प्रभाव डाल सकता है. नीम के पत्तों का जूस खाली पेट पीने से ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है.
नीम के पत्तों का जूस: मधुमेह के लिए वरदान
नीम के पत्तों में एंटी-डायबेटिक, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. नीम के पत्तों का जूस नियमित रूप से पीने से इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है और रक्त शर्करा का स्तर सामान्य रहता है.
नीम के पत्तों का जूस कैसे तैयार करें
नीम के ताजे पत्तों को अच्छी तरह से धो लें. इन्हें मिक्सर में डालें और इसमें आधा कप पानी मिलाकर पीस लें. जूस को छान लें और चाहें तो थोड़ा सा शहद मिला सकते हैं. यह जूस तुरंत पी लें, क्योंकि समय के साथ इसके पोषक तत्व कम हो सकते हैं.
सेवन का सही समय और तरीका
नीम के पत्तों का जूस सुबह खाली पेट सेवन करना सबसे अधिक प्रभावी होता है. इससे शरीर में जूस के पोषक तत्व पूरी तरह से अवशोषित होते हैं. इस जूस का नियमित सेवन करने से ब्लड शुगर के स्तर में सुधार देखा जा सकता है.
नीम के अन्य स्वास्थ्य लाभ
नीम का जूस न केवल ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है, बल्कि शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, रक्त को शुद्ध करने, और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में भी सहायक है. इसके सेवन से त्वचा की समस्याओं में भी सुधार होता है और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है.
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