मन मैला
करके तन उजला,
यहाँ पर कभी, चला न करो !
और बनें रहें, विरल निर्मल सरल...,
चलें बहाए प्यार की सतत धारा यारों !!1!!
तन उजला
होगा शुभानन खिला,
जब होंगे शुभ विचार, हमारे मन में !
चलें खिलाएं, सदैव मन कानन बगिया....,
और बनें रहें प्रसन्न, अपने जीवन में !!2!!
जीवन खिले
फैले ज्ञान उजियारा,
और प्रफुल्लित हमारा घर-संसार बनें !
आओ, चलें तोड़ते ये तमसावृत का घेरा...,
और अंतस को, आनंद से रोशन करें !!3!!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान
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