जो भी बलात्कार करे, देश शर्मसार करे,
ऐसे दोषियों को आप, फांसी पे चढ़ाइए।
सोता है समाज जहाँ , गिरती है गाज वहाँ,
जाग जाओ बेटियों को, न्याय दिलवाइए।
खुद को बनाओ ऐसा, मजबूत लोहे जैसा,
जहाँ अपराध देखो, काली बन जाइए।
बीर बाला मुंड़माला ,खप्पर में रक्त हाला,
फाड़ के कपाल आप, न्याय को दिखाइए।
- कमल धमीजा, फरीदाबाद, हरियाणा