( 1 ) महक
शब्दों की,
सदैव करें महसूस ........,
और चलें उतारते जीवन में !!
( 2 ) अलक
से उलझे,
शब्दों से बचें ..........,
और भावों को सरलता से पिरोए चलें !!
( 3 ) गमक
गीतों की,
लिए चले हमें ........,
मनभावों के अतल समंदर में !!
( 4 ) कनक
शब्दों से,
चलें करते श्रृंगार .......,
और सौंदर्य के पर्याय बनें !!
( 5 ) लहक
सी शोभा,
बढ़ाए चलें शब्द ........,
और जीवन सफर को सरसाए चलें !!
( 6 ) बहक
ना जाएं,
शब्द अर्थ समझें .......,
और चलें जीवन को सदा समझते !!
( 7 ) ग़रक़
निमग्न होकर,
श्रीप्रभु भक्ति में डूबें ...,
और चलें प्रेम सुधारस बहाए यहाँ पे !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान
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