अकेले जहाँ में कहां साथ कोई,
हमें कौन पूछे बढ़ा हाँथ कोई।
सहारे बिना जिंदगी है अधूरी,
हमेशा डरें ना करे घात कोई।
अँधेरा बहुत दूर लगता किनारा,
हमारी सुने ना यहाँ बात कोई।
डरेंसे रहें यह समय का तकाज़ा,
कहीं जख्म नादे खुरापात कोई।
भरोसा किसी पे करें बोल कैसे,
लगें बेवफा दे न सौगात कोई।
सरे-राह बैठे गुजारा करें क्या,
कभी गुफ्तगू ना मुलाकात कोई।
सदा दर्द झेले कलेजा जले 'अनि',
बदलदे खुदा आज हालात कोई।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड
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