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सोशल मीडिया बन रहा है धीरे-धीरे शोषण मीडिया! इन 7 गलत चीज़ों को मान बैठे हैं सही

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सोशल मीडिया ने हम सभी का जीवन आसान कर दिया है, इतना आसान कि अब इसका दुरुपयोग किया जाने लगा है। कई लोगों को तो यह तक नहीं मालूम कि वो जो सोशल मीडिया पर कर रहे हैं, आखिर क्यों कर रहे हैं, किसके प्रभाव में आकर कर रहे हैं या इससे क्या संदेश जाएगा, बस खुशी के लिए किए जा रहे हैं!

ऐसा नहीं लगता कि लोग सोशल मीडिया नहीं बल्कि सोशल मीडिया उन्हें चला रहा है? यहां जिन 7 चीज़ों पर बात की जा रही है वो सोशल मीडिया ने इस हद तक नॉर्मलाइज़ कर दी है कि गलत के बावजूद ठीक लगने लगी हैं।

असलियत का भ्रम पैदा करना (Presents a false sense of reality)

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इंस्टाग्राम, फेसबुक और स्नैपचैट जैसे एप्स सभी को अपने अधीन बना रहे हैं। इसका जितना ज्यादा इस्तेमाल करते हैं लगता है असली दुनिया यही है। इसी वजह से लोगों का मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ता जा रहा है। डिजिटल दुनिया अकेलेपन को बढ़ा रही है।

गलत जानकारी फैलाना (Spreading Misinformation)

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सोशल मीडिया किसी फेक खबर को आग की तरह फैलाती है। गलत जानकारी किसी व्यक्ति और समूह के खिलाफ नफरत पैदा करने में भूमिका निभाती है। ये विविधता में एकता वाले भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर (Extra marital affairs)

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ऑनलाइन बातचीत कब एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में बदल जाती है, पता नहीं चल पाता। डेटिंग एप्स पर होने वाले फ्रॉड के बारे में तो हम आय दिन सुन ही रहे हैं। इतना ही नहीं कई कंटेंट क्रिएटर्स और इंफ्लुएंसर्स भी इस तरह की चीज़ों को सही साबित करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

मदद करने के बजाय वीडियो बनाना (Video recording instead of helping)

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सड़क पर किसी का एक्सीडेंट हो जाए या कोई व्यक्ति गलत काम कर रहा हो, लोग उसे रोकने की जगह विडियो बनाना सही समझते हैं। ये चीज़ें इतनी आम हो चुकी हैं कि यह लोगों की आदत में शुमार हो चुका है।

रंग को लेकर लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा (Color based gender biased)

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कई पेरेंट्स लड़कियों को पिंक कलर और लड़कों को ब्लू कलर के कपड़े पहनाकर गलत सोच को मजबूती दे रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर मेल और फीमेल साइन डिनोट करने वाले रंग, ऑनलाइन मार्केट में मिलने वाली चीज़ें तक सब में रंग को लेकर लैंगिक भेदभाव को हम नॉर्मल मान चुके हैं। वहीं त्वचा के रंग को लेकर भी कुछ कम भेदभाव देखने को नहीं मिलता। इसका जवाब लोगों के कमेंट्स देखकर आराम से मिल जाएगा।

छोटी-बड़ी चीज़ों का शो ऑफ (Show off on social media)

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ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी लाइफ उतनी मज़ेदार है नहीं जितनी सोशल मीडिया पर दिखती है। जिसके पास जितना ज्यादा उतना दिखावा से हटकर उन लोगों की तादाद ज्यादा बढ़ गई है जिनके पास बहुत कम है। महंगे कैफे, रेस्तरां की तस्वीरें, अच्छे कपड़े और मेकअप ने दुनिया रंगीन बना दी है।

सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट कर देना (Posting anything on social media)

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लोग सोशल मीडिया पर कुछ भी डालने से पहले सोचते तक नहीं। नेकी कर दरिया में डाल जैसी कहावते आजकल बेफिजूल दिखाई पड़ती हैं, जिसके पीछे तर्क दिया जाता है कि वे बढ़ावा देने के लिए ऐसा कर रहे हैं। वहीं पर्सनल लाइफ भी डिजिटल लाइफ बन चुकी है जब से हम मॉडर्न हुए।

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