सरिस्का को वर्ष 1955 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। बाद में 1978 में इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया। इसका सेंचुरी एरिया नोटिफिकेशन पुराना है। एरिया कम है, जबकि बाघों से लेकर अन्य वन्यजीवों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। वर्ष 2007-08 में क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) का नोटिफिकेशन करके 88 गांवों को सरिस्का में शामिल किया गया। यहा का 88,111 हैक्टेयर रकबा है। हालांकि अभी यह सरिस्का के नाम नहीं हो पाया। सरिस्का का आकार कम होने के कारण टाइगर आए दिन बाहर निकल रहे हैं। ऐसे में इसके विस्तार की योजना है। मालूम हो कि सरिस्का का एरिया अभी 1213 वर्ग किमी है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का के संरक्षण के लिए हाल ही में आदेश जारी किए हैं, जिन्हें धरातल पर उतारना होगा। इसमें 21 सिफारिशें सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की ओर से की गई थीं। उसी में यह तय किया गया था कि 31 दिसंबर तक ईएसजेड का नोटिफिकेशन करना होगा। सरकार ने इसके लिए लिखित में शपथ पत्र देकर समय मांगा है। सेंचुरी के विस्तार की बात कही है। जानकारों का कहना है कि अलवर शहर में सरिस्का का बफर जोन आ रहा है। ऐसे में यहां ईएसजेड का निर्धारण शून्य किमी पर होगा। राजगढ़, टहला, बानसूर, नारायणपुर, अजबगढ़ आदि एरिया में सीटीएच का विस्तार हो सकता है। उसके बाद बफर एरिया तय होगा और आखिर में ईएसजेड घोषित होगा। सीटीएच से 10 किमी के दायरे में ईएसजेड होता है।सुप्रीम कोर्ट से ईएसजेड नोटिफिकेशन के लिए समय मांगा गया है। सेंचुरी आदि के विस्तार को लेकर उच्च स्तरीय बैठक जयपुर में होगी। बैठक में जो तय होगा, उसके अनुसार काम करेंगे।