Top News
Next Story
NewsPoint

आखिर क्यों यहां आए थे भगवान विष्णु ? वीडियो में देखें केशवराय मंदिर की पौराणिक कथा

Send Push

प्रतापगढ़ के लगभग मध्य में प्राचीन राजमहल है और उसके निकट ही त्रवाडी परिवार की पुराणी हवेली है। राजकीय महल के सामने नज़रबांग एक और सुन्दर स्थान है, जहां किसी जमाने में विशाल वापिका, विशाल वाटिका और एक मंदिर था। नजर बांग के निकट एक छोटी सी तलैया थी। महल और तलैया के बिच में रणमार्ग था, जो आज भी विद्यमान है। आज से लगभग 200 साल पहले, कौन यह कह सकता था की एक दिन यह वाटिका उजड़ जाएगी। किन्तु तलैया एक अति भव्य सुन्दर देव मंदिर बन जाएगा। मंदसौर में रमणजी के मंदरी की प्रतिष्ठा के अवसर पर राज परिवार को अपना अतिथि बनाने और विन्रम निवेदन करने के लिए गुलाबचंद्र मंदसौर से प्रतापगढ़ आए। उन दिनों प्रतापगढ़ के महाराजा प्रायः देवलिया में रहते थे, अथवा शहर में राजमहल में। उन दिनों महारावल सामंतसिंह शहर में विराजते थे।

जब गुलाबचन्द्र्जी निमंत्रण लेकर राज दरबार मौजूद हुए, तो महाराज ने हंसकर उनका स्वागत किया और गुजरती था मेवाड़ी मिश्रित मालवी बोली में कहां, उसका आशय इस प्रकार है... महाराज - दसोर में तू मंदिर क्या बनाता है ? यहां बना , गुलाबचंद्र जी बोले - यहां भी बना सकता हु यदि अन्नदाता की यही इच्छा है, मेरे पास सामग्री तैयार है। महाराज बहुत  प्रसन्न हुए उन्होंने  मंत्रियों को बुला कर तुरंत जमीन देने का आदेश दिया और  त्रवाडीयों को कहां देख तेरे और मेरे घर ओरे तेरे घर के बिच में मंदिर बना, इस वार्तालाप के बाद जिस जगह मंदिर बना हुआ है, वह जमीन महारावल ने जमीन  त्रवाडी को दे दी। महरावत सामंतसिंह को नजर बाग के सामने की तलैया के स्थान पर मंदिर बनाने का वचन दे देने के बाद गुलाबचंद्र अपने काम में लीन हो गए। गुलाबचंद जी इन दिनों प्रतापगढ़ आए मंदसौर में अनाज के उनके अनेक भंडार भरपूर भरे थे अफीम का व्यापार अपने पूरे वेग पर था और तरवाड़ी परिवार पर चतुर्भुज के चारों हाथों की छाया थी। जमाना ऐसा था कि ना अच्छी सड़कें थी और न वाहन की सुविधाएं लूटपाट के दिन थे। मंदसौर लौट रहे थे की राह में दो साधु मिले यूं कहिए कि साधु के वेश में भगवान मिले साधु ने पूछा बच्चा कहां जा रहा है,

महाराज अनाज का भाव बढ़ गया है, सो दसोर ओर जा रहा हूं जाकर भेज दूंगा। साधु ने फिर पूछा बोल यदि अनाज का भाव चौगुना हो जाए तो उत्तर दिया महाराज फिर तो क्या पूछना और यदि 20 गुना हो जाए तो ऐसे भाग्य कहां महाराज और यदि 100 गुना हो जाए तो देवता आप की अमृतवाणी फुलवती हो जितना ऊपर का आएगा वह सब दान पुण्य में अर्पण कर दूंगा। गुलाबचंद जी ने प्रतिज्ञा की मंदसौर आना था कि मुन्नी कुमार और दलालों ने बाजार के संवाद सुनाएं अन्य के भाव निरंतर बढ़ रहे हैं अकाल पड़ने की आशंका है। फिर कुछ दिन बाद समाचार आए सरकार ने अकाल की घोषणा कर दी है। अनाज का भाव 50 गुना बढ़ गया है जनता में हाहाकार मच गया है तो उसके पास काम है और मैं खानपान का प्रबंध धान का भाव 100 गुना अधिक हो गया है। गुलाबचंद जी ने अपने भंडार खोल दिए लोगों में जय-जयकार होने लगा सैकड़ों आदमी मजदूर और कारीगर केशव राय जी के मंदिर के निर्माण में लग गए। हजारों अकाल पीड़ितों को उस अन्य से अन्य मिलने लगा अन्य के संकट से मुक्त होकर शिल्पकार, चित्रकार, मूर्तिकार, कलाकार, पाषाण पर देव प्रतिमाओं की सुंदर रेखाएं अंकित करने लगे और दिन प्रतिदिन एक विराट देवालय या गुलाबचंद्र का स्वप्न आकार ग्रहण करने लगा। श्री केशवराय जी की प्रतिमा मंदसौर के खिलचीपुरा से प्रतापगढ़ लाई गई।

उस समय महारावल सामंतसिंह प्रतिमा की अगवानी को गए मंदिर का नाम श्री केशव राय का मंदिर रखा गया। मंदिर खड़ा हो गया इसके दो अर्थ निकलते हैं एक तो केशव का अर्थ श्री कृष्ण भगवान और दूसरा अर्थ केशव यानी केशव जी गुलाब चंद जी के परदादा विशाल मंदिर का कार्य शिल्पी राम की देखरेख में हुआ। उसका नाम आज कोई नहीं जानता परंतु मंदिर के द्वार वह अपनी स्थिति सदा के लिए छोड़ गया। श्री केशव राय के मंदिर के लिए प्रतिष्ठा के सामंत सिंह जी ने भगवान की सेवा के लिए 5 बीघा जमीन बागरी दरवाजा नामक नगर द्वार के बाहर प्रदान की जहा भी खेत वाटिका और एक कुआं मौजूद है। निज मंदिर का निर्माण कार्य श्री गुलाब चंद जी के समय में शुरू हुआ। किंतु मंदिर सभामंडप गुलाब चंद जी के अधिकारियों के बाद की पीढ़ियों ने बनाया मंदिर की परिक्रमा तीसरी पीढ़ी में आगे चलकर गोविंद लाल जी और मुकुट लाल जी के दीवारों की और लोहे की लोहे की जालियां बनी रामलाल जी ने बनवाया प्राचीन शिल्प कला से युक्त श्री केशव राय की मूर्तियां श्याम श्याम की बड़ी प्रतिमा कृष्ण जी की प्रतिमा बहुत ही दिव्य और चमत्कारी है न केवल के आसपास के शहर और गांव के लाखों की पूजा करते हैं। 

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now