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Kota हमारी आदतों के कारण बंदर जंगल में रहना भूल रहे, आलसी और हिंसक हुए

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कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा खाद्य प्रदार्थ डालने से बंदरों को नुकसान तो हो रहा है, साथ में बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ रहा है। इंसानों से भी इन्हें संक्रमण की आशंका रहती है। जैसे-जैसे मानव-बंदर संपर्क बढ़ता है, बीमारी प्रसार की आशंका भी बढ़ी है। कोविड-19, बर्ड फ्लू, रेबीज, ब्रूसेलोसिस जैसी गंभीर बीमारियां शामिल हैं। ये बीमारियां जानवरों से इंसानों में फैली है। पोषण की कमी होने से बंदर कुपोषित और कमजोर हो गए। वे कई तरह की बीमारियों का शिकार हो गए।सुझाव... प्राकृतिक वातावरण दें, दूरी बनाएं रखें : शहर में एक दर्जन से अधिक जगह ऐसी हैं, जहां बंदरों में ऐसी प्रवृत्ति देखी गई। सीवी गार्डन, आर्ट गैलेरी, गोदावरी धाम, गेपरनाथ, गरडिया, दाड़ देवी मंदिर, गणेश मंदिर समेत अन्य जगहों पर इन्हें भोजन डालते हैं। वन्यजीव को उनके प्राकृतिक वातावरण में देखने का आनंद लेना चाहिए। उन्हें वास्तव में सुरक्षित रखना चाहते हैं तो प्राकृतिक जीवनशैली प्रभावित न करें।

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रिसर्च में यह भी पाया... बंदरों को इस तरह जगह-जगह खाना डालना ठीक नहीं है। भोजन नहीं देने पर ये लोगों पर हमला कर देते हैं। ऐसे दर्जनों मामले आ रहे हैं।कोटा बंदरों का प्राकृतिक स्वभाव बदल रहा है। ये आक्रामक व हिंसक हो रहे हैं। इनके बच्चों में खुद भोजन करने की प्रवृत्ति घट रही है। क्योंकि, इन्हें आसानी से तैयार भोजन मिल रहा है। यदि जंगल में छोड़ दिया जाए तो पेड़ों से भोजन नहीं ले पाएंगे, क्योंकि आलसी हो गए। वाइल्ड लाइफ स्टूडेंट्स दर्शन गिनोय के साथ मिलकर शहर में जहां-जहां बंदरों को खाद्य पदार्थ डाले जा रहे हैं, वहां स्टडी की। इस रिसर्च में निष्कर्ष निकाला कि बंदर जंगल की जिंदगी भूलते जा रहे हैं।

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