सिरोही न्यूज़ डेस्क, सिरोही देवनगरी सिरोही जिले में अनेक प्राचीन मंदिर है, जिनकी अलग ही पहचान है। जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर रेवदर क्षेत्र की ग्राम पंचायत रायपुर के अन्तर्गत वडवज गांव में शांकम्भरी माता का करीब 500 साल पुराना मंदिर स्थित है। माताजी के दाहिनी ओर भैरव जी का भी मंदिर हैं एवं भैरवजी मंदिर के पास ही एक काले रंग की माताजी की मूर्ति स्थापित हैं, जो वर्षों पुरानी हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि स्टेट गवर्नमेंट के समय हमला हुआ, तब हमले के दौरान सामना कर रहे लोगों को पहाड़ी के ऊपर प्यास लगी थी, तब माताजी से प्रार्थना करने पर पहाडी़ के ऊपर बारिश होने से पुराना तालाब भर गया, जिसमें सभी लोगों ने अपनी प्यास बुझाई थी। पहाड़ी पर तालाब आज भी मौजूद हैं। गांव एवं आसपास के किसानों की भी माताजी के प्रति अटूट आस्था है। मान्यता हैं कि जब किसी किसान के भैंस नहीं ब्याहती तो माताजी से मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर किसान माताजी को मिट्टी की हथिनी चढाते हैं।
दीपावली के दिन पहाड़ी पर जलाते हैं ज्योत
वड़वज गांव की पहाडी की तलहटी में बिराजित मां शाकम्भरी माता के मंदिर के पीछे वाले भाग में एक विशालकाय पर्वतमाला है, जिसकी ऊंचाई करीब दो किलोमीटर हैं। दीपावली के दिन इस पहाडी की चोटी पर शाम को गांव के लोग की ओर से ज्योत जलाई जाती है। इस ज्योत को वर्षों से भील समाज के लोगों द्वारा जलाया जाता रहा है। पहाडी की ऊंची चोटी पर लकड़ियां जलाकर ज्योत जगाने पर आसपास करीब दस किलोमीटर तक ज्योत के दर्शन का लाभ लोगों को मिलता है। गांव के वरिष्ठ राणसिंह देवडा बताते हैं कि मां शांकम्भरी देवी का मंदिर करीब 500 साल पुराना हैं, इस देवी के अद्भुत चमत्कार है। गांव के युवा नरेंद्रसिंह देवड़ा ने बताया कि यहां पर हर श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होती हैं, इसलिए सर्व समाज में माता के प्रति अटूट आस्था है।
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