उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर के गोगुंदा में गुरुवार शाम मां-बेटे पर लेपर्ड ने हमला कर दिया। दोनों ने फौरन भागकर जान बचाई। इतने में लेपर्ड भी भाग गया। इसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर पत्थर बरसाए। उन्होंने सरकारी स्कूल में बंद होकर जान बचाई।इससे पहले, गोगुंदा में हमला करने आए लेपर्ड पर कॉन्स्टेबल ने फायर किया। हालांकि लेपर्ड बच गया और भाग गया। तेंदुए ने एक ग्रामीण पर भी हमला करने की कोशिश की। गनीमत रही ग्रामीण बच गयागोगुंदा थानाधिकारी शैतान सिंह नाथावत ने बताया- दो रात से पुलिस, वन विभाग की टीम के साथ सर्च अभियान में जुटी है। लेपर्ड ने बुधवार रात 10 बजे कॉन्स्टेबल प्रदीप चौधरी पर हमले की कोशिश की। कॉन्स्टेबल ने लेपर्ड पर दो राउंड फायर किया। आज सुबह 11 बजे मोडी ग्राम पंचायत के काकण का गुड़ा गांव में मोहनलाल पर लेपर्ड ने हमले की कोशिश की। ग्रामीण के पास लाठी थी, जिसे घुमाते हुए वह चिल्लाया। इतने में लेपर्ड भाग गया।इधर, उदयपुर में आदमखोर लेपर्ड को मारने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है।
जहां फायर किए, वहां दो दिन पहले महिला को मार डाला था
कॉन्स्टेबल प्रदीप चौधरी ने लेपर्ड पर जिस जगह फायर किए, वहीं 1 सितंबर को सुबह 8 बजे लेपर्ड ने महिला को मार डाला था। वन विभाग ने घटनास्थल के आस-पास दो पिंजरे लगाए हैं। जिनमें मांस रखा गया है। लेपर्ड का यहां खासकर रात के समय मूवमेंट है। ऐसे में इस एरिए में टीम पूरी तरह से अलर्ट है। इधर, लगातार हमलों के कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।डीएफओ मुकेश सैनी ने बताया- लेपर्ड को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए गए हैं। गांव वालों को जरूरी काम से ही बाहर निकलने की हिदायत दी गई है। लेपर्ड को ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश की जा रही है।
ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर बरसाए पत्थर
शाम 6 बजे केलवों का खेड़ा के नरेश भारती (30) और उनकी मां कैलाश भारती (60) किसी काम से जा रहे थे। तभी केलवों का खेड़ा और राठौड़ों का गुड़ा के बीच पुलिया पर पीछे से लेपर्ड आया। दोनों की उस पर नजर पड़ी और वे चिल्लाए। उन्होंने भागकर जान बचाई। इसके बाद लेपर्ड भाग गया। इसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिए। कुछ कर्मचारियों ने सरकारी स्कूल में बंद होकर जान बचाई। कुछ कर्मचारी गाड़ी लेकर तुरंत वहां से चले गए। सूचना पर गोगुंदा थाना पुलिस और गांव के कुछ लोग पहुंचे। उन्होंने आक्रोशित ग्रामीणों को समझाया। कहा- ये लोग हमारी मदद के लिए ही यहां तैनात हैं। गोगुंदा एसडीएम नरेश सोनी और उपजिला प्रमुख पुष्कर तेली ने भी मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाया। तब मामला शांत हुआ।
सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम राहत देने से इनकार
इधर, लेपर्ड को मारने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता अजय दूबे ने सुप्रीम कोर्ट में लेपर्ड को मारने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में जाने की छूट दी है।मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि यह आदेश राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा निर्देशों के अनुपालन में दिया गया है। उन्होंने बताया कि तेंदुआ पहले ही कई लोगों की जान ले चुका है और उसने पहले इंसानों के हाथ काटने और फिर उसे मारने की अजीब आदत प्रदर्शित की है।
क्षेत्र में अशांति है इसलिए ये फैसला अहम है। उदयपुर में एक विशेष गांव क्षेत्र की पहचान की गई थी। जहां केवल यह तेंदुआ देखा गया था। सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया है कि तेंदुए को मारने से पहले उसे शांत करने और पिंजरे में रखने के सभी संभव प्रयास किए जाएंगे। हालांकि, यदि अंतिम उपाय के रूप में आवश्यक हुआ, तो ही उसे मारा जाएगा।
एक तरीके से शिकार कर रहा लेपर्ड
उदयपुर शहर से 45 किमी दूर गोगुंदा तहसील है। लेपर्ड ने गोगुंदा की 7 ग्राम पंचायत, झाड़ोल की 2 और बड़गांव की एक ग्राम पंचायत में हमले किए हैं। इन हमलों में 9 की मौत हुई है। इन सभी गांवों के घर पहाड़ी पर हैं। लेपर्ड ने सबसे पहले 9 सितंबर को झाड़ोल ग्राम पंचायत की महिला का शिकार करते हुए उसका सिर खाकर धड़ से अलग कर दिया था। इसी तरीके से 25 सितंबर को मजावद ग्राम पंचायत के कुडाऊ गांव की 5 साल की बच्ची का शिकार किया।
फिलहाल, लेपर्ड को बड़गांव पंचायत समिति की मदार पंचायत में तलाशा जा रहा है। 30 सितंबर को राठौड़ों का गुड़ा गांव में लेपर्ड ने 65 वर्षीय पुजारी विष्णु को मार दिया और उसके अगले दिन 1 अक्टूबर की सुबह पड़ोसी गांव केलवों का खेड़ा फलां में 55 साल की महिला का शिकार किया।25 सितंबर को मजावद के कुडाऊ गांव की भील बस्ती में 5 साल की बच्ची सूरज के शिकार से लेकर अब तक जिसको भी लेपर्ड ने मारा है, उसको सीधे गले से पकड़ा है। पैटर्न को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि सभी लोगों का शिकार एक ही लेपर्ड कर रहा है।
वियजबावड़ी ग्राम पंचायत के रामलाल कहते हैं- सभी को घरों से बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी गई है। बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर भी डर बना हुआ है। जरूरी काम या कोई मेडिकल इमरजेंसी है तो ग्रुप बनाकर और हाथों में लाठी लेकर जाते हैं। सोशल मीडिया के जरिए भी घर-घर सूचना पहुंचाई जा रही है।अभी पुजारी और अगले दिन एक महिला के शिकार के बाद पड़ोसी गांव भी खौफ में हैं। बांसड़ा, वियजबावड़ी, सुवातों का गुड़ा, केलवों का खेड़ा, राठौड़ों का गुड़ा, मदारड़ा पंचायत के भादवीगुड़ा, कासबा पंचायत के जोगियों का गुड़ा, बगडुंदा पंचायत के मजान गांव में लेपर्ड को लेकर लोग घबराए हुए हैं।मदार गांव के भगवतीलाल चौबीसा ने बताया कि रोज लेपर्ड एक आदमी को खा रहा है। महिलाओं पर ज्यादा हमला कर रहा है। रात को हम घर के अंदर ही बंद रहते हैं। जो निकल जाता है, उसके साथ क्या हुआ यह सबके सामने है। मवेशियों का चारा लेने नहीं जा पा रहे।
लाठी-डंडे लेकर बाहर निकल रहे हैं लोग
ग्रामीणों का कहना है कि हमले के बाद खेत पर जाना बंद कर दिया। सरकारी कर्मचारियों और शूटर के साथ मदद के लिए हाथ में लाठी लेकर बाहर निकलते हैं।राठौड़ों का गुड़ा गांव में कुछ महिलाएं बाहर अपने बरामदे में बैठी दिखीं। उनसे जाकर बातचीत की कोशिश की। हमारे सवाल पूछने से पहले ही एक महिला बोली- आखिर लेपर्ड कब पकड़ में आएगा। अब तो घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। न मवेशी चरा पा रहे हैं और न बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं।हाथ में लाठियां लेकर या दांतली लेकर ही बाहर जाते हैं। डर लगता है कि लेपर्ड न जाने किस तरफ से आ जाए और हमला कर दे।
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