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Dungarpur शिक्षा की ज्योति जलाई, बचत से स्वावलंबन की राह दिखाई

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डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क , डूंगरपुर आपदा में अवसर तलाशने के साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ऐसी नींव रखी की आज हजारों महिलाएं स्वावलंबन के साथ आगे बढ़ रही हैं एवं अन्य महिलाओं के सामने भी नजीर पेश कर रही हैं। यहां बात हो रही है जन शिक्षा एवं विकास संगठन माडा की। जिसके बैनरतले हजारों महिलाएं सशक्तिकरण की राह पर कदम आगे बढ़ा रही है। आज जिले में करीब 30 हजार महिला समूहों का गठन कर 50 हजार से भी अधिक महिलाओं को समूहों से जोड़कर उनको आत्मनिर्भर बनाया है एवं यह सिलसिला अब भी चल रहा है।

18 वर्ष से शुरू पहल, आज भी जारी

फाउंडर देवीलाल व्यास की पत्नी रमीला व्यास ग्रामीण विकास एवं महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में वर्ष 1980 से प्रयासरत है। आज वह उम्र के 63 वें पड़ाव में है। इन्होंने इन 44 सालों में ग्रामीण महिलाओं के साथ स्वयं सहायता समूहों का गठन कर उनको संगठित किया व समूहों के माध्यम से बचत की नींव रखी। आजकी राह दिखा रही है। रमीला ने बताया कि पहले गांवों में अधिकांश लोग अशिक्षित थे। जिसमें महिलाओं की संया अधिक थी। महिलाओं को शिक्षा से जोड़ना शुरू किया। महिलाओं को साक्षर बनाने के साथ ही महिलाओं को नाम लिखने सिखाने पर जोर दिया।इसकेबाद शिक्षित महिलाओं को समूह से जोड़ा और बैंकों में उनके खाते खुलवाए और उनको बचत करना सिखाया। बजत करना। सिखाया।

आपात स्थिति में ऐसे रखी नींव

महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन व महिलाओं को संगठित करने की सोच वर्ष 1985 से बनी। जब जिले में 1985 से लगाकर 1987 तक भयंकर अकाल पड़ा था। तब लोग सूखे से निपटने के लिए अपने जेवर व जानवरों को गिरवी व बेचकर अपना जीवन यापन करने लग गए थे। इसी दौरान महिलाओं से संवाद कर बचत की सोच के साथ ही समूह बनाने का काम किया। इसी समूह से बचत की शुरूआत की। जिसको समुदाय ने समझा व स्वीकारा। महिलाओं ने समूहों में बचत करनी शुरू कर धीरे धीरे उस बचत को आपस में आवश्यकता अनुसार ऋणों में वितरण कर गिरवी जमीनें व जेवर छुड़वाने के साथ साथ कृषि, पशुपालन, दुकानें, सिलाई मशीन आदि आजीविका क्षेत्रों में उपयोग करना शुरू कर आत्म निर्भरता की राह प्रशस्त की।

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