भारत को आईसीसी महिला टी-20 विश्व कप के अभियान की शुरुआत में ही झटका लग गया है.
शुक्रवार को दुबई में भारत को ग्रुप ए के पहले ही मैच में न्यूज़ीलैंड के हाथों 58 रनों से हार मिलने से आगे की राह मुश्किल हो गई है.
भारत के सामने 161 रन का लक्ष्य था. पर वह 19 ओवरों में 102 रन तक ही पहुंच सकी.
इस बड़ी हार से भारत का नेट रनरेट भी ख़राब हुआ है और उसे आगे इस स्थिति से उबरना होगा.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करेंभारत को सेमीफाइनल में स्थान बनाने के लिए ग्रुप में पहली दो टीमों में शामिल रहना होगा. पहले मैच में हारने से उसकी दिक्कतें थोड़ी बढ़ी हैं, क्योंकि इस ग्रुप में पिछली चैंपियन ऑस्ट्रेलिया भी शामिल है.
ऑस्ट्रेलिया ऐसी टीम है, जिसे फ़तह करना किसी टीम के लिए मुश्किल है.
भारत को अब ग्रुप की बाकी टीमों को हराने के अलावा ऑस्ट्रेलिया को भी हराना होगा. दूसरी संभावना यह है कि कोई और टीम न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया पर अप्रत्याशित जीत हासिल करे.
सोफ़ी डिवाइन को हमेशा ही न्यूज़ीलैंड की पारी की जान माना जाता है. उन्होंने अपनी नियमित जगह ओपनर के तौर पर उतरने के बजाय चौथे नंबर पर खेलने का फ़ैसला किया और उनका यह फ़ैसला टीम को मुश्किल से निकालने वाला साबित हुआ.
भारतीय गेंदबाज़ों के मध्य ओवरों में खेल पर नियंत्रण बनाने के बाद सोफ़ी डिवाइन ने चौथे नंबर पर बल्लेबाज़ी करके मोर्चा संभाला और उनके लय पकड़ने के बाद भारतीय गेंदबाज़ों के लिए उनके ऊपर नकेल कसना मुश्किल नज़र आया.
सोफ़ी ने शानदार नाबाद अर्धशतक से टीम को 160 रन तक पहुंचाकर भारत के लिए लक्ष्य को मुश्किल कर दिया. उन्होंने 36 गेंदों में 57 रन की पारी खेली, जिसमें सात शतक शामिल रहे. उनके 158 से ऊपर के स्ट्राइक रेट से पता चलता है कि वह किस आक्रामक अंदाज़ से खेलीं. इसके अलावा उन्होंने लगातार एक-दो रन लेकर भारतीय गेंदबाज़ों पर दबाव बनाए रखा.
सोफ़ी डिवाइन के खेलते समय भारतीय गेंदबाज़, खासकर स्पिनर असहाय से नज़र आए. भारत के समय ज़्यादा लेने पर आख़िरी ओवर में तीन ही फील्डर बाहर रखने की पेनल्टी लगी. इस पर भारत ने सर्किल से बाहर रखे तीनों फील्डरों को लेग साइड पर रखा. सोफ़ी ने इस स्थिति में बाहर निकलकर ऑफ साइड में चौका लगाकर दिखाया कि वह हर स्थिति का फायदा उठाना जानती हैं.
न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज़ों ने शुरुआत से ही नपी तुली गेंदबाज़ी की. उनकी गेंदबाज़ी को देखकर लग रहा था कि वह बहुत अच्छा होमवर्क करके आई थीं.
न्यूज़ीलैंड इस साल 13 में से 12 मैच हारकर आई थी. पर उनकी गेंदबाज़ी को देखकर कभी लगा ही नहीं कि यह टीम ऐसा प्रदर्शन करके आई है.
पेस गेंदबाज़ रोज़मेरी मेयर ने मात्र 19 रन देकर चार विकेट लेकर भारतीय पारी को ढहाने में अहम भूमिका निभाई. ली ताहूहू ने दीप्ति, जेमिमा और रिचा के विकेट निकालकर भारतीय मध्यक्रम को ढहाने में अहम योगदान किया.
ऑफ स्पिनर कार्सन ने दोनों ओपनरों शेफाली और मंधाना के विकेट निकालकर भारतीय पारी को ढहाने की शुरुआत की.
पावरप्ले की भूमिका रही अहम Getty Images न्यूज़ीलैंड ने पहले छह ओवरों में मात्र 43 रन देकर 3 बल्लेबाज़ों को चलता कियान्यूज़ीलैंड ने यहां बल्लेबाज़ी करते समय पावरप्ले में धमाकेदार प्रदर्शन किया. वहीं कीवी गेंदबाज़ों ने कसी गेंदबाज़ी से भारत पर दबाव बना दिया.
उन्होंने पहले छह ओवरों में मात्र 43 रन देकर भारत की बल्लेबाज़ी की रीढ़ तोड़ दी. इस स्कोर तक पहुंचते भारत के दोनों ओपनरों शेफाली वर्मा अैर स्मृति मंधाना के साथ हरमनप्रीत कौर की पवेलियन वापसी करा दी.
भारत के सामने 161 रन का विशाल लक्ष्य होने की वजह से ओपनिंग जोड़ी की ज़िम्मेदारी अहम थी. इसमें भी शेफाली के ताबड़तोड़ अंदाज़ पर टीम को बहुत भरोसा था. पर वह दो रन बनाकर ऑफ स्पिनर कार्सन की धीमी गति से आई गेंद को सही से नहीं खेल सकीं और गेंदबाज़ को आसान सा कैच थमा बैठीं.
स्मृति मंधाना पर रन गति कम होने का दबाव दिखने लगा, क्योंकि न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज़ लगातार कसी हुई गेंदबाज़ी करके रन रोकने में कामयाब हो रहे थे. मंधाना ने इस दबाव से निकलने के लिए ही कार्सन की गेंद को सीधे मैदान से बाहर मारने का प्रयास किया और वह बाउंड्री लाइन पर लपक गई.
हरमनप्रीत कौर के पावरप्ले में रोज़मेरी मेयर की गेंद पर एलबीडब्ल्यू हो जाने से मैच का परिणाम काफ़ी हद तक साफ हो गया. भारत की पहली तीनों बल्लेबाज़ 15 रन से ऊपर नहीं निकाल सकीं.
न्यूज़ीलैंड इस साल बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी है, इसलिए उन्होंने पावरप्ले में आक्रामक अंदाज़ को अपनाने का फैसला किया.
सूज़ी बेट्स और जॉर्जिया प्लेमर ने भारतीय गेंदबाज़ों पर शुरू से ही दबाव बनाया. यह जोड़ी पावरप्ले के छह ओवरों में 55 रन बनाकर पारी को मज़बूत आधार प्रदान करने में सफल हो गई.
इस जोड़ी को मज़बूती देने में भारत की दिशाहीन गेंदबाज़ी और खराब क्षेत्ररक्षण ने भी योगदान दिया.
प्लेमर का तो विकेटकीपर रिचा घोष ने कैच टपका दिया. वह असल में ऊंचे कैच को पकड़ने के लिए ज्यादा आगे निकल गईं और सिर के पीछे कैच को पकड़ने पर गेंद ग्लब्स से छिटक गई. इसका फायदा उठाकर न्यूज़ीलैंड ओपनिंग साझेदारी में 67 रन जोड़ने में सफल हो गई.
Getty Images भारतीय बल्लेबाज़ कोई बड़ी साझेदारी नहीं निभा पाए साझेदारी नहीं बनना भारत की बड़ी कमज़ोरीभारतीय बल्लेबाज़ी की सबसे बड़ी कमज़ोरी साझेदारी बनाने पर ज़ोर नहीं देना रहा. असल में बड़ा लक्ष्य होने का दबाव बल्लेबाज़ों पर होने की वजह से वह बड़े शॉट खेलकर अपने ऊपर से दबाव हटाने का प्रयास कर रहे थे.
भारतीय बल्लेबाज़ों ने अगर साझेदारी बनाने का प्रयास किया होता तो गेंदबाज़ों पर दबाव बनाया जा सकता था.
साथ ही भारतीय बल्लेबाज़ों ने ऑफ साइड पर खेलने का प्रयास ही नहीं किया. वह ऑफ साइड में निकलकर लेग साइड पर खेलने का प्रयास करते रहे, जिससे गेंदबाज़ों को इसका अंदाज़ा होने की वजह से वह सफलताएं प्राप्त कर सके.
दीप्ति का रंगत में नहीं होना खलापिछले कुछ समय में दीप्ति शर्मा भारतीय सफलताओं में अहम भूमिका निभाने वाली रही हैं. लेकिन इस मैच के दौरान वह गेंदबाज़ी करते समय बिलकुल भी रंगत में नहीं दिखीं.
भारतीय कप्तान हरमनप्रीत ने उन्हें पावरप्ले में गेंदबाज़ी पर लगाकर और मुश्किलें खड़ी कर दीं. दीप्ति ने चार ओवरों में 45 रन दिए और वह एक भी विकेट नहीं निकाल सकीं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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