30 जनजातीय स्टालें लगी
ट्राइफेड के अधिकारियों ने बताया कि आदि बाजार का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समाज के कारीगरों में आजीविका पैदा करने, उनकी आय बढ़ाने तथा उनके उत्पादों का विपणन विकास के माध्यम से जनजातीय कारीगरों का सामाजिक-आर्थिक विकास करना है । इस 'आदि बाजार' मेले में 30 जनजातीय स्टालों के माध्यम से जनजातीय हस्तशिल्प, कला, पेंटिंग, कपड़े, आभूषण और वन धन विकास केंद्रों की ओर से मूल्य वर्धित आर्गैनिक उत्पादों को बेचने के लिए जनजातीय कारीगरों को मूल्यवान स्थान प्रदान करता है ।
इसमें देश भर की जनजातिय कारीगर/ शिल्पकार की ओर से अपनी विविध विरासत का प्रदर्शन किया जा रहा है । इस आयोजन में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, नॉर्थ ईस्ट, दिल्ली, तथा पश्चिम बंगाल से करीब 50 से अधिक आदिवासी कारीगर जनजातीय शिल्पकार भाग ले रहे है । इस कार्यक्रम में राजस्थान से टैक्स्टाइल मे बगरु प्रिंट के वस्त्र, गिफ्ट आइटम्स, बेडशीट, बेड कवर, मेटल मीनाकारी के आइटम, ब्लू पोटरी के आइटम, लहरिया वस्त्र तथा वन धन केंद्रों द्वारा बनाए गए ऑर्गैनिक उत्पाद, उत्तराखंड के लकड़ी के आइटम, मध्य प्रदेश का बाघ प्रिंट, पश्चिम बंगाल की काथा वर्क की साड़ी, छत्तीसगढ़ की डोकरा आर्ट का घरेलू सजावटी सामान एवं टसर सिल्क की साड़ी/ दुपट्टे इत्यादि प्रकार के आइटम का प्रदर्शन तथा बिक्री की जा रही है।
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