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Rajasthan में यहाँ छतरी तोड़ने के विवाद ने पकड़ा तूल, जानें क्या है पूरा मामला

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कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा विकास प्राधिकरण ने बूंदी जिले की सीमा में एयरपोर्ट के लिए 500 साल पुरानी पूर्व नरेश सूरजमल हाड़ा की मूर्ति और छतरी को तोड़ दिया. इसके बाद शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. राजपूत समाज ने 8 अक्टूबर को सैकड़ों की संख्या में पहुंचकर खुद छतरी निर्माण करने की चेतावनी दी हुई है. इसी बीच विश्वभर में ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण व हैरिटेज महत्व के लिए बनी संस्था (UNESCO) की टीम बूंदी पहुंची. 

'भारत में ऐसा पहली बार हुआ'
टीम ने छतरी को ध्वस्त करने का मामला गंभीरता से लिया. यूनेस्को की टीम ने सर्वे कर छतरी के ऐतिहासिक और स्थापत्य कला के महत्व को जाना. टीम के सदस्यों ने छतरी तोड़ने पर चिंता जताते हुए कहा कि 500 साल पुरानी किसी भी धरोवर को धाराशाही करना अपराध की श्रेणी में है. इस बारे में देश के सुप्रीम कोर्ट के भी निर्देश हैं. जल्द यूनेस्को की टीम तथ्यों को मजबूती से आगे पेश करेगी. भारत में पहली बार ऐसा देखने को मिला है, जब 500 साल पुरानी छतरी और मूर्ति को तोड़ दिया गया हो, जबकि भारत को तो उसके सांस्कृतिक विरासत और तारागढ़, महलों के लिए जाना जाता है. 

राजपूत समाज ने दिया 15 दिन का अल्टीमेटम
यूनेस्को से जैसे टीम छतरी का दौरा करने के लिए पहुंचे तो विरोध कर रहे राजपूत समाज के लोग भी बड़ी संख्या में घटना से अवगत कराने के लिए टीम के पास पहुंचे. इस दौरान युवा शक्ति संयोजन के ध्वजवाहक शक्ति सिंह बांदीकुई, कृष्ण वर्धन सिंह, बंथली, सरपंच श्याम सिंह राजावत, चैन सिंह हाड़ा, महिपाल सिंह रिसंदा ने ग्रामीणों के साथ राव सूरजमल के इतिहास, छतरी के धार्मिक महत्व, स्थापत्य शैली और सामाजिक भावना से रूबरू करवाने का प्रयास किया. टीम को तथ्यों से अवगत करवाया. बूंदी करनी सेना अध्यक्ष महिपाल सिंह ने टीम से कहा कि राजपूत समाज में आक्रोश है. छतरी तोड़ना गलत था. अब प्रशासन दूसरी जगह पर छतरी बनाकर फिर गलती कर रहा है. हमने अधिकारियों को अल्टीमेटम दे दिया है. 8 अक्टूबर को राजपूत समाज छतरी स्थल पर जुटेगा. छतरी वहीं बनेगी. साथ ही एयरपोर्ट का नाम भी राव सूरजमल के नाम पर होना चाहिए. हमने प्रशासन को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है. इसके बाद समाज अपना काम करेगा.

केडीए प्रशासन दूसरी जगह बनाने को तैयार
राजपूत समाज द्वारा लगातार किए जा रहे प्रदर्शन के बाद कोटा विकास प्राधिकरण बैकफुट पर आ गया. प्रशासन ने आनन फानन में पंचायत से बात कर नई जगह पर मूर्ति और छतरी बनाने के लिए जमीन आवंटित कर दी और जल्द ही मूर्ति छतरी बनाने का आश्वासन दिया. नई छतरी की घोषणा से पहले प्रशासन ने कोटा और बूंदी के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों से चर्चा की थी. सरपंच और प्रबुद्ध ग्रामीणों की मीटिंग लेकर उनके सुझाव लिए. वहीं प्रदर्शनकारी राजपूत समाज के पदाधिकारी को कहना है कि प्रशासन अब बचने के लिए नई जगह पर मूर्ति बनाने की बात कह रहा है. लेकिन राजपूत समाज की मांग है कि जहां मूर्ति तोड़ी गई, वहीं पर ही मूर्ति बनेगी, क्योंकि राव सूरजमल ने अपने प्राणों की आहुति वहीं दी थी. प्रशासन को एयरपोर्ट का नक्शा संशोधित करना ही पड़ेगा और मूर्ति वहीं बनेगी.

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