ईरान और इसराइल के बीच बढ़े तनाव से भारतीय भी प्रभावित हो रहे हैं.
ईरान ने मंगलवार की रात मिसाइलों से हमला किया तो इसराइल में काम कर रहे भारतीयों के परिजनों की चिंता बढ़ गई.
एक दिन में कई-कई बार वीडियो कॉल करके लोग अपने परिजनों की सलमाती जानने की कोशिश कर रहे हैं.
हालांकि इसराइल में रह रहे लोग अपने परिवार वालों को दिलासा दिला रहे हैं कि सब कुछ ठीक है.
उत्तर प्रदेश के ऐसे ही कुछ परिवार वालों से हमने बातचीत की है.
ईरान के हमलों के बाद भारतीय दूतावास ने इसराइल में रह रहे नागरिकों को सलाह दी थी कि वो बाहर ना निकलें और सुरक्षा नियमों का पालन करें.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंभारत के तकरीबन 24 हज़ार लोग इस वक़्त इसराइल में रह रहे हैं.
इस आबादी में क़रीब आधे से अधिक वे लोग हैं, जो पिछले एक साल में कामगार के तौर पर वहाँ गए हैं.
इसराइल में मज़दूरों की कमी को पूरा करने के लिए वहाँ की सरकार ने पहल की थी. हमास और इसराइल के बीच जंग की वजह से मज़दूरों की संख्या में कमी हो गई थी.
इसके बाद भारतीय कामगारों को वहाँ ले जाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी.
- ईरान-इसराइल के बीच युद्ध हुआ तो भारत पर क्या असर पड़ेगा?
- अरब देशों के मीडिया में इसराइल के हमलों पर क्या कहा जा रहा है?
- ज़ाकिर नाइक पहुँचे पाकिस्तान, भारत में गोमांस से लेकर हमास-इसराइल जंग पर बोले
उत्तर प्रदेश में फतेहपुर के सालेहनगर की नई बस्ती में मंदिर का रंगरोगन चल रहा है क्योंकि गुरुवार से नवरात्रि शुरू हो रही है.
इस मंदिर से कुछ दूरी पर इसराइल में रह रहे दिनेश सिंह के घर के सामने लोग इकट्ठा हैं और ईरान के इसराइल पर हमले के बारे में बातचीत कर रहे हैं.
दिनेश की पत्नी अनीता कहती हैं, "सुबह वीडियो कॉल पर बात हुई थी. रात में भी हमले के बाद दिनेश ने फोन किया था. हालांकि जब दोबारा मिलाया तो नेटवर्क के कारण फोन नहीं मिल पाया. कुछ देर बाद फ़ोन आया तो हमने बातचीत की और अपनी चिंता ज़ाहिर की."
अनीता ने बताया, "हमने कहा कि ज़्यादा परेशानी है तो वापस आ जाओ. पैसा वगैरह तो भेज रहे हैं लेकिन मन में शंका बनी हुई है."
दिनेश सिंह के भाई केसर सिंह ने कहा, "हम नहीं चाहते हैं कि युद्ध हो. इसे थमना चाहिए. इसमें किसी की भलाई नहीं है. मेरा भाई ही नहीं सब मुश्किल में जा रहे हैं. यहाँ कोई काम नहीं है लेकिन हम लोग चाहते हैं कि ज़्यादा समस्या बढ़े तो सरकार को अपने लोगों को वापस लाना चाहिए."
इससे पहले लखनऊ में इस साल जनवरी-फरवरी में लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया था. इस वक़्त क़रीब पांच हज़ार से ज़्यादा भारतीय कामगार इसराइल में हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 4800 लोग पहले गए थे. फिर पिछले महीने तकरीबन 1500 लोग गए हैं.
इन्हीं में से भंवर सिंह के भाई राकेश सिंह भी इसराइल के तेल अवीव शहर के पास रहते हैं. वो अपने भाई का हालचाल जानने के लिए वीडियो कॉल करते हैं.
उन्होंने कहा, "भाई ने बताया है कि कई बम गिरे थे और कई हवा में ही ख़त्म हो गए हैं. लेकिन जब सायरन बजता है तो बंकर में जाना पड़ता है."
इस गांव और आसपास के क़रीब दो दर्जन लोग इसराइल में हैं और कुछ लोग जाने की तैयारी भी कर रहे हैं.
गांव में परचून की दुकान चलाने वाले राजू सिंह की निगाह लगातार टीवी पर बनी है, जो युद्ध के बारे में गांव वालों को भी बताते रहते हैं.
राजू सिंह ने बताया, "गांव के 20-25 लोग वहाँ हैं. हालांकि दो वापस आए हैं लेकिन वो निजी कारणों से वापस आए हैं. गांव के और लोग जाने के लिए तैयारी कर रहे हैं. पैसा ज़्यादा मिल रहा है इसलिए लोग जाना चाह रहे थे. हो सकता है लड़ाई की वजह से अब कुछ लोग न जाएं."
- इसराइल-हिज़्बुल्लाह संघर्ष के बीच लेबनान की सेना कहां है और क्या कर रही है?
- ईरान और इसराइल के मीडिया में मिसाइल हमले को कैसे देखा जा रहा है?
- ईरान ने इसराइल पर इतनी मिसाइलें दागीं लेकिन नुक़सान कितना हुआ?
महेंद्र सिंह सिंह ने कहा,"भाई ने बताया है कि तीन मिनट पहले सायरन बज जाता है और हम सभी बंकर में चले जाते हैं. भाई को एक लाख 85 हज़ार भारतीय रुपये में तनख्वाह मिलती है."
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक़ अभी तकरीबन 10 हज़ार लोगों की इसराइल में और ज़रूरत है. इसके लिए भारतीय युवाओं को प्रशिक्षण देने का काम चल रहा है.
इस काम के लिए इसराइल के अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल सिंतबर में भारत आया था और इसके बाद पुणे के औंध आईटीआई में लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया है.
वहीं लखनऊ के अलीगंज आईटीआई में इसराइल जाने वालों के लिए भी प्रशिक्षण चल रहा है और यहाँ प्रशिक्षित युवा जल्दी ही इसराइल जाने वाले हैं. इनमें से एक चन्द्रशेखर सिंह का कहना है कि बेरोज़गारी की वजह से मजबूरी में जाना पड़ रहा है.
चन्द्रशेखर सिंह का कहना है, "दो अक्तूबर की वजह से छुट्टी है लेकिन आईटीआई में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यहाँ पर बेरोज़गारी इतनी ज़्यादा है कि काम मिलना मुश्किल हो रहा है. लोगों के पास कोई विकल्प नहीं है. हमारा प्रशिक्षण चल रहा है लेकिन सरकार ने अभी ये नहीं बताया गया है कि कब जाना है."
सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में जून 2024 में बेरोज़गारी दर 9.2 फीसदी थी. इसमें ग्रामीण इलाक़ों में बेरोज़गारी दर 9.3 फ़ीसदी और शहरी बेरोज़गारी दर 8.9 फ़ीसदी थी.
BBC इसराइल में काम कर रहे भारतीयों के परिजन युद्ध की आशंका से चिंतित हैंजिन परिवार वालों से बीबीसी ने मुलाक़ात की है, उनमें सभी कहना है कि इसराइल में पैसे ज़्यादा मिल रहे हैं और लोग एक से दो लाख रुपये तक कमा रहे हैं.
इसराइल में रह रहे भारतीय अपने परिजनों को भारत में आश्वस्त कर रहे हैं कि उन्हें कोई ख़तरा नहीं है.
इसराइल में रहने वाले लोगों का कहना है कि उनके रहने की जगह पर लगभग रोज़ ही सायरन बजता है, मोबाइल पर भी अलर्ट आता है, जिसके बाद उन लोगों को बंकर में जाना होता है.
- इसराइल को मिसाइल हमलों से बचाने वाली ‘जादू की छड़ी’ क्या है?
- ईरान के मिसाइल हमले के दौरान इसराइल की मदद पर बाइडन और हैरिस ने ये कहा
- अरब के इस्लामिक देशों में हसन नसरल्लाह के मारे जाने पर कैसी हलचल
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, और व्हॉट्सऐप पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
You may also like
इजराइल हमले में मारा गया हसन नसरल्लाह का दामाद, 83 करोड़ का इनामी आतंकी हसन जाफर कासिर
Assam Rifles Recruitment 2024: टेक्निकल एवं ट्रेड्समैन के पदों की भर्ती के लिए 21 अक्टूबर से शुरू होगी आवेदन प्रक्रिया, दसवीं पास भी कर सकता है अप्लाई
ईरान के हमले के बाद इजराइल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के सफाए के लिए अपनाया 'पुतिन' का प्लान
युवाओं को बिना खर्ची-पर्ची के नौकरी-रोजगार दिया गया : सीएम योगी