हिज़्बुल्लाह की ओर से बुधवार को तेल अवीव में इसराइली ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद के मुख्यालय पर जो मिसाइल दागी गई थी, उसे ईरान की बनाई क़ादिर-वन बैलिस्टिक मिसाइल बताई जा रही है.
यह मिसाइल 700 से 1000 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जा सकती है और कहा जाता है कि यह एक पूरी इमारत को तबाह करने की क्षमता भी रखती है.
इसराइली सरकार के प्रवक्ता डेविड मैनसर का कहना है कि इसराइल हिज़्बुल्लाह के इस हमले को रोकने में कामयाब हुआ क्योंकि उसके पास डेविड्स स्लिंग नाम का एयर डिफ़ेंस सिस्टम है.
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डेविड्स स्लिंग को शुरू में इसराइली पेट्रियट मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम के विकल्प के तौर पर बनाया गया था.
मध्य एशियाई सैन्य मामलों पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के पूर्व सलाहकार कर्नल अब्बास दोहक ने बीबीसी को बताया कि डेविड स्लिंग सिस्टम की रेंज पेट्रियट सिस्टम के तुलना में 100 किलोमीटर अधिक है.
इसराइल में टेक्नोलॉजी पर नज़र रखने वाली 21सी वेबसाइट के अनुसार, इसराइल की वायु रक्षा प्रणाली तीन परतों पर आधारित है.
इसराइली रक्षा कंपनी राफ़ेल के अनुसार, डेविड्स स्लिंग इसराइल की रक्षा प्रणालियों में से मीडियम रेंज रखने वाला एक सिस्टम है जो आयरन डोम के बाद सबसे अधिक कामयाब रक्षा हथियार माना जाता है.
डेविड्स स्लिंग को ‘कंप्लीट मीडियम टू लॉन्ग रेंज एयर एंड मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम’ भी माना जाता है.
टाइम्स ऑफ़ इसराइल के अनुसार, इस हथियार का नाम बाइबल में बताई गई एक कहानी पर रखा गया है जिसमें डेविड (दाऊद) ने जालूत पर पत्थर बरसाने के लिए एक गुलेल का इस्तेमाल किया था.
इसराइली रक्षा मंत्रालय के अनुसार, डेविड्स स्लिंग को बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइल हमले को नाकाम बनाने के लिए बनाया गया है. दूसरी ओर आयरन डोम कम दूरी पर मार करने वाली मिसाइल और गोलों को नष्ट करता है.
इसराइली सेना के अनुसार, डेविड्स स्लिंग को इसराइली कंपनी राफ़ेल और अमेरिकी कंपनी रेथियॉन ने बनाया था और उसे इस्तेमाल के लिए सन 2017 में लगाया गया था.
डेविड्स स्लिंग को ‘जादू की छड़ी’ भी कहा जाता है जो 40 से 300 किलोमीटर तक की दूरी तक रॉकेट और मिसाइल हमले को रोकने की क्षमता रखता है.
मिसाइल थ्रेट नाम की वेबसाइट के अनुसार, डेविड्स स्लिंग में एक मिसाइल लॉन्चर, ईएलएम 2084 रडार, एक ऑपरेटिंग सिस्टम के अलावा स्टेनर इंटरसेप्टर मिसाइल मौजूद हैं. डेविड्स स्लिंग के एक लॉन्च सिस्टम में 12 मिसाइलें लगाई जा सकती हैं और इसके सभी पुर्ज़े अमेरिका में बनाए जाते हैं.
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सेंटर फ़ॉर स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनेशनल स्टडीज़ की वेबसाइट मिसाइल थ्रेट के अनुसार स्टेनर मिसाइल 4.6 मीटर लंबी होती है और यह 15 किलोमीटर की ऊंचाई से आने वाली किसी भी रॉकेट या मिसाइल को नष्ट करने की क्षमता रखती है.
इस मिसाइल का अगला हिस्सा किसी डॉल्फ़िन की शक्ल की तरह होता है, जिस पर दो सेंसर लगाए जाते हैं; इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इमेजरी सेंसर और एक रडार सीकर.
डेविड्स स्लिंग का सिस्टम अपने लक्ष्य को निशाना बनाने और उसे जैम करने की क्षमता रखता है. स्टेनर मिसाइल में सॉलिड फ़्यूल सिस्टम लगा होता है और यह तेज़ रफ़्तार हथियार है.
‘हारेट्ज़’ का कहना है कि एक अनुमान के अनुसार, एक स्टेनर मिसाइल को बनाने पर 10 लाख डॉलर ख़र्च होते हैं.
आयरन डोम में इस्तेमाल होने वाली मिसाइल की तुलना में स्टेनर मिसाइल में वारहेड नहीं होता बल्कि यह अपने लक्ष्य को सीधे निशाना बनाता है.
रडार सिस्टमडेविड्स स्लिंग में ईएलएम 2084 मल्टी मिशन रडार भी लगा होता है जो हवाई जहाज़ों और बैलिस्टिक लक्ष्यों को ट्रैक करने की क्षमता भी रखता है.
यह रडार हवाई निगरानी या फ़ायर कंट्रोल मिशन दोनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. यह रडार 474 किलोमीटर के दायरे में लगभग 1100 टारगेट को ट्रैक कर सकता है जबकि यह हर चीज़ को इलेक्ट्रिकल सिस्टम से स्कैन करता है.
फ़ायर कंट्रोल मिशन की अगर बात की जाए तो यह 100 किलोमीटर की रेंज में एक मिनट के अंदर 200 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है.
डेविड्स स्लिंग कब बनाया गया Getty Images इसराइल ने 2006 में डेविड्स स्लिंग सिस्टम पर काम करना शुरू कियाइसराइल ने सन 2006 में डेविड्स स्लिंग सिस्टम पर काम करना शुरू किया और फिर उसने इस प्रणाली को बनाने के लिए अगस्त 2008 में अमेरिका से भी समझौता किया.
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के एक शोध के अनुसार, 2006 से 2020 के बीच अमेरिका ने डेविड्स स्लिंग को बनाने के लिए इसराइल को दो अरब डॉलर की रक़म दी है.
अक्टूबर 2009 में इसराइली कंपनी राफ़ेल एडवांस्ड डिफ़ेंस सिस्टम ने अमेरिकी कंपनी रेथियॉन के साथ इंटरनेशनल मिसाइल और लॉन्चर बनाने के लिए 10 करोड़ डॉलर का समझौता किया था.
सैनिक साज़ो समान पर नज़र रखने वाली वेबसाइट डिफ़ेंस न्यूज़ के अनुसार इसराइली कंपनी राफ़ेल ने पहली बार प्रदर्शनी के लिए डेविड्स स्लिंग को सन 2013 में पेरिस एयर शो में रखा था.
टाइम्स ऑफ़ इसराइल के अनुसार, डेविड्स स्लिंग का पहला सफल परीक्षण सन 2012 में एक रेगिस्तान में किया गया था.
डिफ़ेंस न्यूज़ पर सन 2015 में प्रकाशित होने वाली एक रिपोर्ट के अनुसार, डेविड्स स्लिंग 302 एमएम रॉकेट और ईरानी फ़तह 110 मिसाइल को रोकने की क्षमता भी रखता है.
इसराइल ने इसे कब-कब इस्तेमाल किया? Getty Images कर्नल अब्बास दोहक ने कहा कि इसराइल का एयर डिफ़ेंस सिस्टम हिज़्बुल्लाह के मिसाइल हमलों के ख़िलाफ़ बहुत कारगर साबित हुआसन 2018 में इसराइली समाचार पत्रों ने बताया था कि जुलाई 2018 में डेविड्स स्लिंग को पहली बार गोलान हाइट्स से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए इस्तेमाल किया गया था.
डिफ़ेंस न्यूज़ वेबसाइट के अनुसार, इसराइल ने डेविड्स स्लिंग का इस्तेमाल करते हुए दो इंटरसेप्टर मिसाइल दागी थीं, जिनका मक़सद सीरिया की ओर से फ़ायर की गई दो एसएस 21 बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकना था.
सीरिया से फ़ायर की गई मिसाइलें सीरियाई सीमा के अंदर ही गिर गई थीं जबकि एक इसराइली मिसाइल गोलान हाइट्स के ऊपर ख़ुद नष्ट हो गई थी.
सीरिया की सेना ने डेविड्स स्लिंग से फ़ायर की गई एक मिसाइल को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था और उसे मुआयने के लिए रूस भेज दिया था.
मई 2023 में भी इसराइल ने डेविड्स स्लिंग को इस्तेमाल करने के बारे में जानकारी दी थी. इस बार इस रक्षा प्रणाली ने ग़ज़ा से फ़ायर की जाने वाली उन मिसाइलों को रोका था जिनका रोकने में आयरन डोम नाकाम हो गया था.
हिज़्बुल्लाह और इसराइल के बीच बढ़ते हुए तनाव के दौरान पिछले बुधवार को इसराइली सरकार के प्रवक्ता डेविड मैनसर ने कहा था कि उनकी सेना ने लेबनानी संगठन की ओर से फ़ायर की गई एक मिसाइल को नष्ट कर दिया है.
डेविड मैनसर क्या कहना था, “इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि हिज़्बुल्लाह के आतंकवादियों ने तेल अबीब पर मिसाइल दागी लेकिन इसराइली एयर डिफ़ेंस सिस्टम डेविड्स स्लिंग ने कामयाबी से इसे नाकाम बना दिया और दक्षिणी लेबनान में मौजूद लॉन्चिंग पैड्स भी तबाह कर दिए.”
कर्नल अब्बास दोहक कहते हैं कि इसराइल का एयर डिफ़ेंस सिस्टम, जिसमें डेविड्स स्लिंग भी शामिल है, हिज़्बुल्लाह के मिसाइल हमलों के ख़िलाफ़ बहुत कारगर साबित हुआ है.
“इसने न केवल कई रॉकेट को नष्ट किया है बल्कि विभिन्न दिशाओं और स्थानों से फ़ायर की जाने वाली ड्रोन्स और मिसाइलों को भी नाकाम बनाया है.”
जॉर्डन से संबंध रखने वाले सैन्य मामलों के विशेषज्ञ ब्रिगेडियर जनरल मूसा अल-क़ल्ब भी कर्नल अब्बास दोहक से सहमत नज़र आते हैं.
उनका कहना है कि डेविड्स स्लिंग सिस्टम की वजह से इसराइल को सन 2006 के युद्ध की तुलना में हिज़्बुल्लाह पर बढ़त हासिल हुई है.
वह कहते हैं कि शायद हिज़्बुल्लाह की कुछ मिसाइलें डेविड्स स्लिंग की जगह तक पहुंचने और उसे नुक़सान पहुंचाने में कामयाब हो जाएं लेकिन इसका सीमित असर होगा.
कर्नल अब्बास दोहक कहते हैं कि शायद डेविड्स स्लिंग को हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोकने में मुश्किल हो क्योंकि वह बहुत तेज़ रफ़्तार होती हैं.
उनके अनुसार, उन्हें नहीं मालूम कि हिज़्बुल्लाह के पास यह मिसाइल है या नहीं.
लेकिन मूसा अल-क़ल्ब कहते हैं कि उन्हें नहीं लगता कि हिज़्बुल्लाह के पास रूस की मदद से बनी ज़रक़ून मिसाइल हो सकती है. वह कहते हैं कि ऐसा ज़रूर हो सकता है कि ईरान ने थोड़ी संख्या में यह मिसाइल हिज़्बुल्लाह को दी हों.
लेकिन वह नहीं समझते कि ऐसा हुआ होगा क्योंकि यह फ़ैसला ईरान के उच्च स्तरीय नेतृत्व का विशेषाधिकार होता है.
नवंबर 2023 में इसराइली रक्षा मंत्रालय ने फ़िनलैंड को डेविड्स स्लिंग मुहैया करने के लिए 35.5 करोड़ डॉलर का समझौता किया था.
उस समय रक्षा मंत्रालय का कहना था कि डेविड्स स्लिंग बैलिस्टिक, क्रूज़ मिसाइलों, ड्रोन्स और लड़ाकू विमानों को ट्रैक और तबाह करने की क्षमता रखने वाले दुनिया के आधुनिक काम हथियारों में से एक है.
Getty Images कमज़ोरियांमूसा अल-क़ल्ब कहते हैं कि इसराइली रक्षा प्रणाली में कुछ कमज़ोरियां भी हैं जैसे कि उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना मुश्किल है और इस दौरान कोई पक्ष उन हथियारों को निशाना बनाकर नष्ट भी कर सकता है.
वह कहते हैं कि डेविड्स स्लिंग में लगने वाली एक मिसाइल की क़ीमत 10 लाख डॉलर है और इसी कारण यह दुश्मन की मिसाइल के अंबार से निपटने की क्षमता नहीं रखता.
मूसा अल-क़ल्ब की राय है कि इसराइल तकनीकी कारणों से डेविड्स स्लिंग को आयरन डोम की तरह इस्तेमाल नहीं करेगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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