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विनेश फोगाट जीत तो गईं लेकिन कांग्रेस को इससे कितना फ़ायदा हुआ

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ANI जुलाना सीट से विनेश फोगाट जीत गई हैं हालांकि उनके समर्थक कम अंतर को लेकर खुश नहीं हैं.

हरियाणा के जुलाना में ख़ुशी का माहौल है. लड्डू बाँटते हुए लोग कुछ देर पहले तक अपना दिल थाम के चुनावी नतीजों को देख रहे थे.

पेरिस ओलंपिक्स में विनेश फोगाट भले मेडल जीतने से चूक गईं लेकिन चुनावी मैदान में जीत हासिल करने में सफल रहीं.

विनेश फोगाट ने अपने ससुराल जुलाना में बीजेपी के विजयरथ को रोकते हुए 6,015 वोटों के अंतर से जीत हासिल कर ली है.

जुलाना में ख़ुशी का माहौल ज़रूर है लेकिन विनेश और कांग्रेस पार्टी के समर्थक और बड़ी जीत की उम्मीद कर रहे थे.

जुलाना के मतगणना केंद्र में बैठे चन्दर कहते हैं, "विनेश जीत तो गईं लेकिन उन्होंने बीजेपी के योगेश कुमार को पछाड़ा नहीं.”

वहीं अजीत कहते हैं, "लोग ख़ुश ज़रूर हैं लेकिन कुछ कमी रह गई. पहलवानों का नाम रोशन ज़रूर किया है लेकिन हमें उम्मीद थी कि विनेश 30,000 के अंतर से जीतेंगी.”

image BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करें विनेश की जीत के मायने image ANI कांग्रेस को जाट बहुल क्षेत्रों में भी झटका

कांग्रेस पार्टी ने जुलाना में 19 साल बाद जीत हासिल की है. पार्टी 2005 के बाद से यहाँ जीत नहीं पाई थी.

हरियाणा के जाट बहुल बांगर क्षेत्र में स्थित जुलाना सीट पर पिछले 15 सालों से अन्य पार्टियों का क़ब्ज़ा रहा है.

इनमें इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) शामिल हैं.

आईएनएलडी के परमिंदर सिंह को 2009 और 2014 में यहाँ से जीत मिली जबकि जेजेपी के अमरजीत ढांडा ने 2019 में इस सीट पर क़ब्ज़ा किया था.

जुलाना विधानसभा सीट पर विनेश का मुकाबला बीजेपी के उम्मीदवार कैप्टन योगेश बैरागी और आम आदमी पार्टी की महिला उम्मीदवार कविता दलाल से था.

चाहे वह विनेश का उत्साहपूर्ण रोड शो हो या अधिक बैठकें, उनके अभियान पड़ावों पर महिलाओं की संख्या प्रभावशाली रही है.

विनेश फोगाट को जुलाना सीट से उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने एक बड़ा जोख़िम उठाया था.

पेरिस ओलंपिक से लौटने के बाद विनेश फोगाट ने तब राजनीतिक सफ़र की शुरुआत की थी.

पेरिस से लौटने के बाद जब विनेश फोगाट दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची थीं तो कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा उनके स्वागत में खड़े थे.

विनेश के स्वागत में निकाले गए जुलूस में भी दीपेंद्र काफ़ी दूर तक साथ चले थे.

उस दौरान बजरंग पूनिया भी साथ थे. तभी से अटकलें लगाई जा रही थीं कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं.

हालांकि बजरंग पूनिया को कांग्रेस ने मैदान में नहीं उतारा.

जिस दिन विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल हुईं उसी दिन उन्होंने पत्रकारों से ये कहा कि 'बुरे समय पर ही ये पता चलता है कि कौन अपना है और कौन नहीं.'

विनेश ने कहा था, ''लोग आपके ऊपर विश्वास जताएं, आप उनको भरोसा दिलाओ. अगर लोग आपसे कनेक्ट कर गए तो बस यही राजनीति है.”

एक कमज़ोर जीत image BBC

कांग्रेस पार्टी को उम्मीद थी की 'किसान, जवान और पहलवान' की इमोशनल अपील का फ़ायदा पार्टी को होगा लेकिन विनेश की कमज़ोर जीत कुछ और बताती है.

हरियाणा के राजनीति विज्ञानी और महाराणा प्रताप नेशनल कॉलेज में प्रोफ़ेसर डॉ. विजय चौहान कहते हैं, "विनेश की जीत को कांग्रेस की हार से जोड़ के देखा जाना चाहिए. चुनाव के आख़िरी दौर में मुद्दा एक बार फ़िर जाट और ग़ैर जाट की राजनीति का बन चुका था, जिसका नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ा है."

"राहुल गांधी यहाँ आए और जाट परिवार के एक लड़के से मिले. कई ऐसी चुनावी रैली हुई, जहाँ पर दीपेंद्र हुड्डा ने ऐसा जताया की हुड्डा साहब की सरकार बनेगी और बीजेपी का जितना भी विरोध रहा वो जाटों के क्षेत्र में ज़्यादा रहा. वोटर के दिमाग़ में जाट और ग़ैर जाट की राजनीति घर कर गई .बीजेपी इस राजनीति का फ़ायदा उठाने में क़ामयाब रही.”

वहीं ये भी माना जा रहा है कि कांग्रेस का विनेश को ज़्यादा तवज्जो देना भी पार्टी पर भारी पड़ा है.

हरियाणा के राजनीतिक विश्लेषक कुशल पाल कहते हैं, "बीजेपी को ओबीसी चेहरे का फ़ायदा लोकसभा चुनाव में भले ही न हुआ हो लेकिन विधानसभा में उसका नतीजा देखने को मिला है."

"विनेश के हवाले से कांग्रेस जो इमोशनल अपील बनाने की कोशिश कर रही थी वो उसमें कामयाब नहीं हो पाई. कांग्रेस को जाट बहुल क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है.”

इनका मानना है कि बांगर क्षेत्र जिनमें तोशाम, लोहारू जैसे जाट बहुल क्षेत्र हैं, वहाँ नुकसान हुआ है.

अखाड़े से लेकर सड़क तक संघर्ष image ANI पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट को अधिक वज़न की वजह से अयोग्य क़रार दे दिया गया था

विनेश की लड़ाई चाहे रेसलिंग मैट पर हो या चुनाव में, आसान नहीं रही है

विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने साक्षी मलिक के साथ मिलकर तत्कालीन डब्ल्यूएफ़आई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ पहलवानों के विरोध का नेतृत्व किया था.

विनेश के साथ-साथ पहलवानों ने दिल्ली की सड़कों पर एक लंबी लड़ाई लड़ी.

विनेश के कैंपेन ने भी महिला वोटर्स के साथ एक ख़ास रिश्ता जोड़ा. आज उनकी जीत को उत्पीड़न के ख़िलाफ़ संघर्ष में एक अहम मोड़ के रूप में भी देखा जा रहा है.

विनेश फोगाट ने 2014, 2018 और 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार तीन गोल्ड मेडल जीते हैं.

उन्होंने 2018 एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता है.

विनेश फोगाट ने 2024 के पेरिस ओलंपिक में मौजूदा ओलंपिक चैंपियन यूई सुसाकी को हराकर फ़ाइनल में जगह बनाने वाली पहली अंतरराष्ट्रीय पहलवान और पहली भारतीय महिला पहलवान बनी थीं.

हरियाणा की एक्टिविस्ट जगमति सांगवान कहती हैं, "ये जीत महिलाओं के लिए अहम है. हरियाणा में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी ने यौन उत्पीड़न को एक मुद्दा बनाया, अपनी आवाज़ बुलंद की और वो जीती. इससे महिलाओं को और हौसला मिलेगा.”

जुलाना में रोड शो करते हुए विनेश ने कहा, "सत्य और संघर्ष की जीत हुई है."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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