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बिहार का चर्चित ब्रज बिहारी प्रसाद हत्याकांड, जिस पर अब आया है सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला

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FB/RAMA DEVI ब्रज बिहारी प्रसाद

साल 1998 में बिहार के पूर्व मंत्री ब्रज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन अक्तूबर को अपना फैसला सुना दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला समेत दो अभियुक्तों को दोषी ठहराया है और उन्हें उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है.

वहीं पूर्व सांसद सूरज भान सिंह को इस हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया है.

इस मामले में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने फैसला सुनाया है.

इससे पहले पटना हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में ब्रज बिहारी प्रसाद हत्याकांड के आरोपों से सभी आठ लोगों बरी कर दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट की बेंच सबूतों के अभाव में अभियुक्तों को बरी करने के पटना हाई कोर्ट के साल 2014 के आदेश के ख़िलाफ़ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था.

हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ ब्रज बिहारी प्रसाद की पत्नी और पूर्व बीजेपी सांसद रमा देवी के अलावा सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

बताया जाता है कि ब्रज बिहारी प्रसाद को मारने के लिए श्रीप्रकाश शुक्ला समेत कई लोग कार से गए थे और उन्होंने अस्पताल परिसर में अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी.

इस मामले में मुन्ना शुक्ला और सूरजभान सिंह को भी अभियुक्त बनाया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में छोटन शुक्ला के भाई मुन्ना शुक्ला को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है.

मुन्ना शुक्ला ख़ुद बिहार के वैशाली ज़िले के लालगंज विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं.

हालिया लोकसभा चुनाव में उन्होंने आरजेडी के टिकट पर वैशाली सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन इसमें उनकी हार हुई थी.

image SANJAY KUMAR ब्रज बिहारी प्रसाद, लालू प्रसाद यादव, जॉर्ज फर्नांडीस (दाएं से बाएं) image FB/RAMA DEVI ब्रज बिहारी प्रसाद कौन थे ब्रज बिहारी प्रसाद

मुज़फ़्फ़रपुर के वरिष्ठ पत्रकार विभेष त्रिवेदी के मुताबिक़, ब्रज बिहारी प्रसाद ने इंजीनियर के तौर पर अपना करियर शुरू किया था और वो बाद में ठेकेदारों के साथ साझा व्यवसाय में भी शामिल हो गए थे.

विभेष त्रिवेदी बताते हैं, "ठेकेदारी की वजह से ही मुज़फ़्फरपुर के ही एक दबंग छोटन शुक्ला से ब्रज बिहारी प्रसाद के गुट की अदावत शुरू हुई थी. ब्रज बिहारी प्रसाद अपने साथ बिहार के बेगूसराय के कई लोगों को रखते थे. इस अदावत में दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर जानलेवा हमले भी करवाए थे."

ब्रज बिहारी प्रसाद बाद में राजनीति में आए और पूर्वी चंपारण के आदाबपुर से विधायक बने थे. वो मुज़फ़्फ़रपुर में रहते थे.

उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत दलितों और पिछड़ों के मुद्दे को उठाकर की थी. इस तह से वो लालू प्रसाद यादव के क़रीबी भी हो गए थे.

साल 1990 का दशक भारत में बिहार समेत पूरे उत्तर भारत में राजनीतिक तौर पर उथल-पुथल वाला दौर था.

एक तरफ बीजेपी देशभर में राम मंदिर आंदोलन को लेकर कांग्रेस की राजनीति को चुनौती दे रही थी, वहीं वीपी सिंह के प्रधानमंत्री रहते भारत में मंडल आयोग की सिफ़ारिशों और आरक्षण को लेकर हंगामा हो रहा था.

इस दौर में बिहार में अक्सर ‘गैंगवार’ सुर्खियों में होता था और आम लोगों के बीच भी इसकी चर्चा बहुत आम थी. 1990 के दशक की शुरुआत में बिहार में आरक्षण को लेकर बड़ी राजनीतिक गोलबंदी हो रही थी.

पुराने राजनीतिक दिग्गजों को चुनौती देने के लिए उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक बाहुबली और रॉबिनहुड वाली छवि के नेता भी राजनीति में आगे बढ़ने लगे थे.

image FB/Munna Shukla मुन्ना शुक्ला बाहुबलियों का दौर

इसी दौर में बिहार की सियासत में एक नाम उभर कर सामने आया था, वह नाम था छोटन शुक्ला का.

छोटन शुक्ला उस वक़्त आनंद मोहन की पार्टी केसरिया सीट से चुनाव भी लड़ने वाले थे. दरअसल यहां वामपंथी विधायक यमुना प्रसाद को चुनौती देने के लिए आनंद मोहन ने छोटन शुक्ला को आगे बढ़ाया था.

छोटन शुक्ला की हत्या 4 दिसंबर 1994 को मुज़फ़्फ़रपुर में कर दी गई थी. छोटन शुक्ला भूमिहार बिरादरी के नेता थे और बिहार के ही एक अन्य बाहुबली नेता आनंद मोहन के क़रीबी थे, जो ख़ुद राजपूत बिरादरी से थे.

छोटन शुक्ला की हत्या ब्रज बिहारी प्रसाद के घर के पास ही कर दी गई थी.

छोटन शुक्ला की हत्या के दूसरे दिन यानी पाँच दिसंबर को उनके अंतिम संस्कार के दौरान ही आक्रोशित भीड़ ने आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया पर हमला कर उनकी हत्या कर दी थी.

इस हत्या के आरोप में पूर्व सांसद आनंद मोहन को सज़ा हुई थी.

विभेष त्रिवेदी के मुताबिक़- ठेकेदारी और अन्य वजहों से उत्तर प्रदेश के बाहुबली श्रीप्रकाश शुक्ला और बिहार के बाहुबली नेता माने जाने वाले सूरजभान की दोस्ती छोटन शुक्ला के भाई भुटकुन शुक्ला से थी.

विभेष त्रिवेदी बताते हैं, "उस समय तक सूरजभान बहुत बड़ा नाम नहीं था और इन लोगों का छोटन शुक्ला के पास खूब आना जाना होता था."

image FB/Rama Devi रमा देवी ब्रजबिहारी की प्रतिमा के पास क्या था मामला

छोटन शुक्ला हत्याकांड मामले का कोई क़ानूनी नतीजा नहीं निकला, माना जाता है कि इससे उनके समर्थकों में काफ़ी नाराज़गी देखी गई थी.

मुज़फ़्फ़रपुर के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार संदीप कुमार ने बीबीसी को बताया था कि ऐसा माना जाता है कि बाद में बिहार में श्रीप्रकाश शुक्ला की एंट्री के पीछे छोटन शुक्ला की हत्या का बदला लेना भी एक कारण था.

13 जून 1998 को बिहार में राबड़ी देवी की तत्कालीन सरकार में मंत्री ब्रज बिहारी प्रसाद की पटना के आईजीआईएमएस हॉस्पिटल में हत्या कर दी गई थी.

ब्रज बिहारी प्रसाद उस वक़्त न्यायिक हिरासत के दौरान आईजीआईएमएस में इलाज कराने के लिए भर्ती हुए थे. ब्रज बिहारी प्रसाद उस वक़्त एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में थे.

इस हत्या का आरोप श्रीप्रकाश शुक्ला पर भी लगा था. साल 1998 में ही सितंबर महीने में यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स के साथ एक मुठभेड़ में श्री प्रकाश शुक्ला की मौत हो गई थी.

ब्रज बिहारी प्रसाद हत्याकांड ने बिहार की सियासत में बड़े उथल-पुथल का दौर शुरू कर दिया था. इसका एक नतीजा यह भी हुआ कि जो ब्रज बिहारी प्रसाद किसी ज़माने में लालू प्रसाद यादव के क़रीबी माने जाते थे, उन्हीं की पत्नी ने लालू पर कई गंभीर आरोप लगाए और बीजेपी का दामन थाम लिया.

ब्रज बिहारी प्रसाद हत्याकांड का आरोप बाहुबली माने जाने वाले एक अन्य नेता और पूर्व सांसद सूरजभान पर भी लगा था.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में सूरजभान को इस आरोप से बरी कर दिया है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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